Book Title: Prabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Author(s): Pravesh Bharadwaj
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 251
________________ २२६ 1 प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य - चिटणीस - १० ४८-४९, ७७ चित्तौड़ - १४ टि०, ५२, १७४, चन्द्रगुप्त मौर्य --- ७४, १६९ १८२ चन्द्रप्रभचरित - १० चित्तौड़गढ़ अभिलेख - १२८ टि. चन्द्रलेखा ( रानी)-७९, १४२ चित्तौड़ दुर्ग - ५२ चन्द्रवंशी - ७३, ८१ चित्रकूट - ४७, ४९, ५२ चन्द्रावती - ७२-७३ चीनी (जाति)- १७२ चर्मण्वती ( आधनिक चंबल) - चूड़चन्द्र ( राजा)-७३ ६९, टि०, ७०, ७२ चौबे, झारखण्डे – १०६ टि० चर्मण्वती का जलदुर्ग -७२ चालुक्य ( दे० चालक्य ) चाङ्गदेव (हेमचन्द्र का बाल्य__कालीन नाम ) - ५६-५८ छन्दोनुशासन - ५९ चाच, बद्रुद्दीन मुहम्मद - २७ छन्दोरत्नावली - ६२ चाचिग (हेमचन्द्र के पिता) - ५६ चापोत्कट वंश-९६, १४६, टि, जगतसिंह - १८ १५३ जम्बू स्वामी - ५८, १४७; १५६ जनकत्व - ६८, १४३, टि० चामुण्डराज -८३, ९६, १०३, जनकपद -- ६८, १४३, टि० १३० जयचन्द्र ( गाहड़वाल नरेश )चालुक्य -- ५७, ८३-८५, ९६, ५९-६०, ८२, टि०, १२८-१२९ ९८, १०३-१०४, टि०, १०५, १३३ ११०, ११९, १२६-१२९, १५३ जयताक (कुमारपाल का पूर्व१५९, १६२ __ जन्म का नाम ) - ३४, ५८ चालक्याज ऑफ गुजरात - १६ जयन्तचन्द्र ( दे० जयचन्द्र ) टि०, ४५ टि०, ९६ टि०, १०२ जयन्त ( तीर्थ)-५७ टि. जयन्त सिंह -- ९८ चाहड़ - ५७, १२७-१२८ जयमती -९० चाहमान - ५७, १२६-१२८, जयसिंह देव ( दे० सिद्धराज ) १३०-१३१, १४५, १५३, १५९ जयसिंह सूरि - ५८-५९, ८४, १६२ १००-१०१, १२७, १७० Jain Education International ping For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282