Book Title: Pandava Puranam
Author(s): Shubhachandra Acharya, Jindas Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 18
________________ शरीरसम्बन्धी गन्धके प्रसारसे उसका दुसरा नाम योजनगन्धाभी प्रसिद्ध हो गया था। पराशर राजाके गुणवतीस महान् विद्वान् व्यास नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। व्यासका दूसरा नाम धृतमर्त्य भी था। उसके सुभद्रा पत्नीसे धृतराष्ट्र , पाण्डु और विदुर ये तीन पुत्र उत्पन्न हुए। इनमें धृतराष्ट्रका विवाह मथुरानिवासी राजा भोजकवृष्टिकी कन्या गान्धारी के साथ सम्पन्न हुआ ___ १ हरिवंशपुराणमें योजनगन्धाके पतिका नाम शान्तनु और पुत्रका नाम धृतव्यास बतलाया गया है । यथा भर्ता योजनगन्धाया राजपुत्र्यास्तु शान्तनुः । तनयः शंतनो ( शान्तनो) भूभृद् धृतव्यास इति स्मृतिः ।। ह. पु. ४५-३१ २ हरिवंशपुराणमें व्यासके पुत्रका नाम धृतधर्मा बतलाया गया है । इसके आगे वहां धृतोदय, धृततेजा, धृतयशा, धृतमान और धृतपद भी पाये जाते हैं, जो स्वतन्त्र नाम न होकर विशेषण पद प्रतीत होते हैं। धृतधर्माके पुत्रका नाम धृतराज था । उसके अम्बिका, अम्बालिका और अम्बा नामकी तीन पत्नियां थी, जिनसे क्रमशः धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर ये तीन पुत्र उत्पन्न हुए। ( ४५, ३२-३४) उत्तरपुराण (७०, १०२-१०३) के अनुसार. शक्ति नामक राजाकी पलीका नाम शतकी और पुत्रका नाम परासर था। इस परासर राजाके सत्यवती नामक मत्स्यकुलोत्पन्न राजपुत्रीसे जो पुत्र उत्पन्न हुआ वह बुद्धिमान् व्यास नामसे प्रसिद्ध हुआ। उसकी पत्नीका नाम सुभद्रा था। इन दोनोंके धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर ये तीन पुत्र उत्पन्न हुये। त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र ( ८, ६, २६८-२६९ ) के अनुसार सत्यवती के चित्राङ्द और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र उत्पन्न हुये । उनमेंसे विचित्रवीर्यकी अम्बिका, अम्बालिका, अम्बा नामकी तीन पत्नियोंसे क्रमशः धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर ये तीन पुत्र उत्पन्न हुए । इनमें पाण्डु धृतराष्ट्रपर राज्यभार रखकर मृगयामें आसक्त हुआ। देवप्रभसूरिकृत पाण्डवचरित्र ( १, ३५३-५४ ) के अनुसार धृतराष्ट्र जन्मान्ध और पाण्डु आजन्म पाण्डुरोगी था। विष्णुपुराणके अनुसार शान्तनु राजाके जाह्नवीसे उदारकीर्ति एवं अशेषशास्त्रार्थवित् भीष्म पुत्र हुआ। इन्हीं शान्तनुने द्वितीय पत्नी सत्यवतीसे चित्राङ्गद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र उत्पन्न किये । इनमें बाल्यावस्थामही चित्राङद गन्धर्वके द्वारा [ दे. प्र. पां. च. ( १-२६१ ) के अनुसार नीलादके द्वारा ] युद्धमें मारा गया था। विचित्रवीर्यका विवाह काशिराजकी अम्बिका और अम्बालिका नामकी दो पुत्रियोंके साथ हुआ था । वह अत्यधिक विषयासक्त होनेसे यक्ष्मासे गृहीत होकर मृत्युको प्राप्त हुआ [ऐसाही उलेख दे. प्र. पां. च. (१-३३३ और ३६३-६६) में भी पाया जाता है ] तब सत्यवतीके नियोगसे पराशरपुत्र कृष्णद्वैपायनने विचित्रवीर्यके क्षेत्र ( आम्बिका और अम्बालिका ) में धृतराष्ट्र और पाण्डुको तथा उसकी भेजी हुई दासीसे विदुरको उत्पन्न किया । वि. पु. ४, २०, ३३-३८. ३ उत्तरपुराणके अनुसार गान्धारी नरवृष्टिकी पुत्री थी (७०, १००-१०१) अनुसार वह सुबल राजाकी पुत्री और शकुनिकी बहिन थी । यथाधृतराष्ट्रः पर्यणैषीदष्टौ सुबलजन्मनः । गान्धारराजशकुनेर्गान्धार्याद्याः सहोदराः ॥ त्रि. श. पु. च. के ८,६,२७० दे. प्र. पां. च. १, ३९१-९५. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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