Book Title: Panchvastukgranth
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
गाथाङ्क:
श्रीपञ्चवस्तु
REGISTRESSISSRUSSI
गाथाङ्क:
वृद्धवि. स्थापनादेः सुगत्यादि स्तवादेर्भावस्तवत्वं अष्टादश
अपेक्ष्य सलब्धिकता गणानुज्ञाविधिः गणग
षयानु
क्रमः सहस्रशीलांगानि अपवादेऽप्यबाधः आज्ञापारत
णिनोः शिक्षा गुरुकुलवासफलं व्यं एकाग्रमनस्कता मोह विषघातनाद्याः साधु
५ संलेखनावस्तु गुणाः अष्टभिर्भवैर्मोक्षः द्रव्यभावयोरनुविद्धता १३६५-१४८२ अव्युच्छित्तिमनस्कता गण्यादीनामभ्युद्यतविहारयतेव्यस्तवानुमोदनादि बल्यादिवत् औपचारि
योग्यता इत्वरो गणनिक्षेपः उपकरणं इन्द्रियादि-18 कविनयता करणमाश्रित्य निषेधः वैदिकीहिंसा
परिकर्म तपःसत्त्वसूत्रकत्वबलभावनाः परिकर्मसमानतानिरासः यतनातो निवृत्तिः शिल्पादेरिव
विधि, जिनकल्पांगीकारविधिः तस्य सामाचार्यः। निर्दोषता उपकाराभावेऽपि साफल्यं पूजायाः
श्रुतसंहननोपसर्गातङ्कवेदनाकतिजनस्थण्डिलवसअपौरुषेयवेदखण्डनं दावत्सदोषता हिंसायाः
तिकियच्चिरोच्चारप्रश्रवणावकाशतृणफलकसंद्रव्यस्तवासमर्थस्य न भावस्तवः, दानशीलतपो.
रक्षणसंस्थापनप्राभृतिकाग्निदीपापहानकतिवासभावनानां क्रमः
मिक्षाचर्यापानकलेपालेपाचामाम्लप्रतिमामास१३१५-१३६४ गणस्वामिलक्षणानि प्रवर्तिन्याः स्वरूपं गीतार्थ
कल्लाः द्वाराणि जिनकल्पे तानियमः जाताजातभेदौ प्रवर्तिन्याः शिष्या | १४८३-१५२२ क्षेत्रकालचारित्रतीर्थपर्यायागमवेदकल्पलिंगलेश्या
Jain Education
2
onal
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 ... 634