________________
श्री चन्द्रषि महत्तर प्रणीत
पंच संग्रह
[बन्धनकरण- प्ररूपणा अधिकार ] (मूल, शब्दार्थ, विवेचन युक्त)
हिन्दी व्याख्याकार
श्रमणसूर्य प्रवर्तक मरुधर केसरी श्री मिश्रीमल जी महाराज
दिशा-निदेशक
मरुधरारत्न प्रवर्तक मुनिश्री रूपचन्दजी म० 'रजत'
सम्प्रेरक
मरुधराभूषण श्री सुकन मुनि
सम्पादक
देवकुमार जैन
प्रकाशक
आचार्य श्री रघुनाथ जैन शोध संस्थान, जोधपुर