Book Title: Panchsangrah
Author(s): Amitgati Acharya, Darbarilal Kothiya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 9
________________ अमितगत्याचार्यस्य रचनाः सरलाः सुखसाध्याः सत्योऽपि गम्भीराः मधुराश्च सन्ति । अयं ग्रन्थस्तु करणानुयोगस्यात्युत्तम ग्रन्थोस्ति । रचनाशैली त्वस्य गोम्मटसाराद्विलक्षणा सरला चास्ति । अनेकस्थलेषु विषय विशेषताप्युलभ्यते । गोम्मटसारकर्मकाण्डाध्ययनन्तु टीकामंकसंदृष्टिम्विना न शक्यम् किन्तु पञ्चसंग्रहे, आवश्यकाङ्गसंदृष्टिः ग्रन्थकारेण तत्रैव प्रदर्शिता, टीकायाः अप्यावश्यकता मूलरचनयैव दूरीकृता । अतएवायम् छात्राणामप्युपयोग्यस्ति । इत्यलमतिविस्तरेण । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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