Book Title: Panchsangrah
Author(s): Amitgati Acharya, Darbarilal Kothiya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 250
________________ ter-arrer-ere arer-crer-error - महाय पूर्व प्रकाशित ग्रन्थोंकी सूची -- - :08-30प्रत्येक ग्रन्थ लागत मात्र मूल्य पर बेचा जाता है। 1 रधीयस्त्रयादिसंग्रह (न्याय ) / -) 15 युक्त्यनुशासन (न्याय) 2 सागारधर्मामृत ) 16 नयचक्रसंग्रह 3 विकाना कौरवीय (नाटक)।) 17 षट्प्राभृतादिसंग्रह 4 पार्श्वनाथचरित ( काव्य ) // ) 18 प्रायश्चित्तसंग्रह 10) 5 मैथिली-कल्याण (नाटक)) 19 मूलाचार सटीक (पूर्वार्ध)1) 6 आराधनासार // 20 भावसंग्रहादि 7 जिनदत्तचरित (काव्य)।)॥ 21 सिद्धान्तसारादिसंग्रह 8 प्रद्युम्नचरित ) 22 नीतिवाक्यामृत 1) 9 चारित्रसार ) 23 मूलाचार सटीक (उत्तराध) 1 // ) 10 प्रमाणनिर्णय ( न्याय) / ) 24 रत्नकरण्ड सटीक 11 आचारसार / ) 25 पंचसंग्रह निलोकसार सटीक 1 // ) 26 लाटीसंहिता 13 तत्त्वानुशासनादिसंग्रह // ) 27 पुरुदेवचम्पू . 14 अनगारधर्मामृत 3 // ) 28 प्राचीन शिलालेखसंग्रह --------- - parere-arrer-areer-errerar-errorer-crerrrrrrrrerar-e-- नोट-आगे और बड़े बड़े महत्त्वपूर्ण ग्रन्थोंके छपानेका प्रबन्ध हो रहा है। प्रत्येक जैनीको इसके ग्रन्थ मँगाकर सहायता करनी चाहिए। 100) सौ रुपया देकर सहायता देनेवालोंको सब ग्रन्थ भेट भेजे जाते हैं। --22-2-2-2-8-2222 निवेदकनाथूराम प्रेमी, मंत्री, हीराबाग, पो. गिरगाँव, बाम्बई / 222 न्य-Serrerre-2--2--22-0--2228rerroreer-arera on internationa n elivateractionajuksonly p lemelon

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