Book Title: Panchpratikramanadi Stotrani
Author(s): 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 10
________________ .... १०३ .... १०४ १०५ .... १०६ .... १०६ । १०७ (१७) थायंबिलनु पञ्चकाण तिविहार उपवासद् चनविहार उपवासनुं सांजनां पच्चरकाण (पाणहारनुं) चटविहार, पच्चरकाण तिविहार, पच्चरकाण सुविहार, पच्चरकाण देसावगासिकनुं पच्चरकाण पोसहनु पच्चरकाण पोसह पारवानी गाथा संथारा पोरिसी चैत्यवंदनस्तवनवगेरेनो समुदायसीमंधर जिन चैत्यवंदन सीमंधर जिन द्वितीय चैत्यवंदन सिझाचलनुं त्रीजु चैत्यवंदन सिहाचलनुं चोथु चैत्यवंदन परमात्मानुं पांचमुं चैत्यवंदन प्रथम सीमंधर जिनस्तवन द्वितीय श्रीसुबाहु जिनस्तवन तृतीय श्रीदेवजसाजिनस्तवन .... १०७ .... १०७ .... १०७ .... १०० १० ११२ ११५ ११६ ११६ .... ११० .... ११५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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