Book Title: Panchkappabhasam Author(s): Labhsagar Publisher: Agamoddharak Granthmala View full book textPage 8
________________ (7) गाथा 1335 मां चतुर्दश पूर्वधरने पण तीर्थ तरीके जणाव्या छ. भाष्यकारे जने गाथासूत्र तरीके जणावी छ ते 558-552-560 मी गाथाओमां निर्दिष्ट प्रवज्याना प्रकारो अन्यत्र क्यांय प्राप्तशास्त्रोमां जोवा मलता नथी. गाथा 163 नुं उत्तरार्ध 'आसज्ज उ सोयारं' आ पद् आवश्यक-नियुक्तिनुं छे ( गाथांक 228) 1 ली गाथा दशाश्रुतस्कंधनियुक्तिनी आद्य गाथा छे. एम न होई शक क-- आ गाथा प्रस्तुत या अन्य भाष्यादिनी गाथा होय अने ते पाछलथी नियुक्तिमा मिश्रित.थइ गइ होय ? कारणके भद्रबाहुस्वामि स्वयं तो पोतानी स्तुति न ज करे? भाष्यकार- भाष्यकारतरीके मामान्यतया संघदासगणिश्रमाश्रममा अने जिनभद्रगणिक्षमाश्रमण अति सुप्रसिद्ध छे. तेमां पण जिनभद्रगणि क्षमाश्रमणनी ख्याति महाभाष्यकार तरीकेनी छे. एक संघदासर्गाण वाचक थया छे. त वसुदेवहिंडिना प्रथमखंडना प्रणता छ. तेनाथी भाष्यकार संघदालगाणिक्षमाश्रमण जुदा छ प निर्विवाद छे क- वसुदेवहिंडिकार वाचक छ अने भाष्यकार क्षमाश्रमण छे. भाष्य अथवा चूर्णिमां क्यांय भाष्यकर्ता तरीके संघदाल नाण क्षमाश्रमणना नामनो तेमज अन्यकोइ नामनो निर्दा मलतो नी भाष्यना हस्तलिखित प्रतिओने अंत कर्ता तरीक संघदालक्षमाश्रयण आवो निर्देश प्राप्त थाय छे. 'षण्महावता' आवा उल्लख छे तथा 7-1. - उपर 'सिरिअज्जखमासमण धम्मगणि खमासमण वाचकखमासमण (?) तथा 11-1 उपर ' जहा अज्जगोविंदा' वि० उल्लेख प्राप्त थाय छे. 560 मी 'पल्लिसूरा' गाथाने चूर्णिकारे संग्रहणीनी गाथा तरीके जणावी छे 2 मारी पासे त्रण प्रति हस्तलिखित छे. तेमां अंते 'संघदाससमाश्रमण' शब्द लख्यो छे परंतु अत्रे अने ग्रंथादिमां गणिशब्दPage Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 332