Book Title: Panchgranthi Vyakaranam
Author(s): N M Kansara
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 424
________________ IV : Index of Verses of the Gana-patha in the Auto-commentary of the PGBV. // 4 // स्वोपज्ञवृत्तिस्थगणपाठपद्यानामनुक्रमणिका // अक्षयूतगतागतकण्टकमर्दन...॥३।२।१३।५।१।।* आध्यश्व्येकग्रामे परपक्ष...॥३।१।१२।६।३॥ अच्यौ साक्षादात्स्थामिथ्या...॥१।४।२।४।४।। आयुर्वेदानुपदौ चरमप्रथमा...॥२।४।११।७।३। अत्रोशीरहरिद्राकिशरनदा...॥३।२।१५।११।१॥ आत्विजीनश्च शालीनः कोपीनो अधोऽध्युपरि सामीप्ये वाक्ये...॥२।२।१।२।२।। ...||3 / 2 / 10 / 10 / 1 / / अनर्थकं पर्यधि पूजने सुः.....॥१।४।२।४/७|| आलाध्वनो खे यजि दण्डिस्तिना..॥३।३।४।९।१॥ अनोः सीरगङ्गौ पथः शीतसूपौ....||३।१।३।६।१॥ आलिङ्ग्यायन पर्णी स्यात्...।।२।४।६।३।२९।। अन्तस्थकाठेरणिभौजिसौवि...॥३।१।३।६।१।। आसुतीशर्पणासन्दी...॥२।४।६।३।२६।। अपवदजनपदतरुणाः महिम...।।२।४।१।९।३। आसेविताधीतश्रुतोपदेशा...॥३।३।७।३।३।। अभ्रनिद्राबुभुक्षानिशारोगावेग...||३।३।१।१।१।। आहारनिपचेत्याद्या..॥१।४।३।६।२०।। अयानयं चानुभवेत् परम्परं...।।३।३।६।२।२।। आहेतिपर्याप्तप्रभूतिनित्य...॥३।२।१।३।८।। अरीहणो दण्डविपाशबिल्वाः .. / / 2 / 4 / 6 / 3 / 12 / / इक्षुविसौ मधुवेणुकरीराः.....॥२।४।६।३।२५।। अर्कोत्करौ मूलनितान्तसम्फराः..... इक्ष्वादितो दोधवितानकाभ्यां...||२।४।६।३।६।। // 2 / 4 / 6 / 3 / 21 // इध्मबहिर्दधिपयः परिव्राट...।।१।४।४।३।२।। अचिंतपरिकल्पिताभ्यां निपठित..||३।३।७।३।१॥ इन्द्रहूर्देवहरेकलूः पिप्पलू...॥२॥३।१७।४।७।। अर्थगुणादिदशादिभिरेके...||१।४।३।३।१|| इन्द्रावसानककुभः सुवर्णः...||२।४।१।९।२।। अर्थे च यज्ञद्वयजृगृत्क्रतो मा...॥३।१।१।१२।३॥ उक्थो निरुक्तो द्विपदी पुराण...।।२।४।११।७।१।। अर्शो लवणतुण्डामं जटा....।।३।३।१०।६।२॥ उत्कृष्टसन्तौ परमोत्तमौ महान्...॥१।४।३।६।२।। अल्लुक् कुसुम्भसम्बरमगधा...||३।४।१।१।२॥ उत्थापनारोहणवेशनं सं...||३।२।४।१।२।। / अश्नीतपिबता दाम...॥१।४३।६।१९॥ उत्पतनिपतोऽवाचनिपाचा...॥१।४।३।६।१६।। अश्वाश्मानौ वीक्ष्यक्षान्तौ...।।२।३।१७।४।१०।। उत्पुटोत्सङ्गपिटाका....।।३।२।१३।३।१।। अषडक्षाशितङ्गभ्यामध्याप...||१।४।५।१।५।। उत्सोदपानभरताः जगती...।।२।४।१।९।१।। असमीप इयद्विगुणोक्त्यजसौ....।।१।४।४।३।१॥ उदन्वदष्ठीवदृषा रुमण्वान्...॥३।३।७।८।१।। अस्य हत्यास्य हेतिश्च वध्यौ...।।२।२।८।३।२।। उदुम्बरास्तिलखला मद्रकारा...॥२।३।१४।३।३।। अस्या दृढं मूलमुद्गमाषा:....॥३।१।१२।८।३।। उभयत्र दशाहानि कुलस्या...॥२।३।१६।५।१।। * अत्र कमादध्यायपादपदसूत्रवृत्तिगतपदानां संख्यानिर्देशो ज्ञातव्यः / NMK:

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