Book Title: Pancham Shataknama evam Saptatikabhidhan Shashtha Karmgranth
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Jain Atmanand Sabha

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Page 13
________________ 12 प्रस्तावना / कर्मप्रन्थोनो विस्तृत परिचय आप्यो डे एटले आ विभागनी प्रस्तावनामां मारे जे काइ कहेवानुं छे ए मुख्यत्वे करीने छट्ठा कर्मग्रन्थ अने तेना कर्ता आदिने अंगेज कहेवार्नु छ। छट्ठा कर्मग्रन्थनुं नाम-आ विभागमा छपाएल छट्ठा कर्मग्रन्थ, नाम सिचरि छ / आ प्रकरणनी गाथा सित्तेर होवाथी आने सित्तरि ए नामथी ओळखवामां आवे छे / एक जमानो एवो पण हतो ज्यारे ग्रन्थोने एना विषय आदि उपरथी न ओळखतां मात्र तेनी पद्यसंख्याने आधारे ज ओळखवा-ओळखाववामां आवता हता। आना उदाहरण तरीके आचार्य शिवशर्मकृत शतक, आचार्य सिद्धसेनकृत द्वात्रिंशिका प्रकरण, आचार्य हरि. भद्रकृत पञ्चाशकप्रकरण विंशतिविंशतिकाप्रकरण षोडशकप्रकरण अष्टकप्रकरण, आचार्य जिनवल्लभकृत षडशीतिप्रकरण आदि अनेकानेक प्राचीनतम जैनाचार्यकृत ग्रन्थोनां नामोनो निर्देश करी शकाय तेम छे / आपणुं चालु प्रकरण पण ए कोटिनुं होई एनी गाथासंख्याने आधारे एने सिंचरि ए नामथी ओळखवामां आवे छे / गाथासंख्या-अमारा प्रस्तुत प्रकाशनमा सित्तरि कर्मग्रन्थनी 72 गाथाओ छे। . अंतनी बे गाथाओ मूळ प्रकरणना विपयनी समाप्ति उपरांतनी होई तेने गणतरीमा न लइए-अने न लेवी जोइए-तो आ प्रकरणर्नु आचार्ये आपेलुं सिचरि ए नाम सुसंगत अने सार्थक ज छे। श्रीजैनधर्मप्रसारक सभा तरफथी प्रसिद्ध थएल द्वितीय विभागमां, आ प्रकरणनी अमारा प्रकाशनमा आवती 72 गाथा उपरांत " पंच नव दुन्नि अट्ठा०" गा० 6 " बारसपणसहसया०" गा०४८ अने " मणुयगइ जाइ तस० " गा०५८ आ त्रण गाथाओ वधारे छे। ___ आ त्रण गाथा पैकी "पंच नव दुन्नि०" गाथा 6 टीकाकारे वर्णवेला आठ कर्मनी उत्तरप्रकृतिओना स्वरूपना अनुसंधानमां कोई विद्वाने टिप्पणरूपे नोंघेली अंदर पेसी गइ छ / 58 मी गाथा तरीके मूकायली " मणुयगइ जाइ० " गाथा सित्तेरमी गाथा तरीके बीजी वार आवती होवाथी बे पैकी गमे ते एक ठेकाणे ए गाथा पुनरुक्त अने निरुपयोगी छ / अहीं जोवानुं एटलुं ज रहे छे के बे स्थान पैकी कया स्थाननी गाथा वधारानी छे ? / आनो उत्तर आपणने " नाणंतरायदसगं० " गाथा 57 नी टीका जोतां सहेजे मळी रहे छे के-एकधारा चालती 57 मी गाथानी टीकामां गाथांनी अधूरी टीकाए एकाएक वचमां आवी पडती " मणुयगइ जाइ० " गाथा 58 तद्दन असंगत छे; एटलुं ज नहि पण जे टीकापंक्तिओने " मणुयगइ०" गाथानी टीका तरीके मानी लेवामां आवी छे ए पण एक भूल थइ छ / अस्तु, खरु जोतां गाथा 57 मां " नवनाम उच्च च" अने गाथा 69 मां " उच्चगोय नवनामा " आ प्रमाणे बे गाथामां * नवनाम' पदनो निर्देश आवतो होवाथी 1. अमारा प्रकाशनमा आ गाथा 67 मी छे // 2. अमारा प्रकाशनमा आ गाथा 55 मी छे / 3. अमारा संपादन प्रमाणे गाथा 55 // 4. अमारा संपादनने आधारे गाथा 66 //

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