Book Title: Pali Agamo ma Chatuyam Samvar Author(s): Padmanabh S Jaini Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 6
________________ जून २००८ चाउज्जाम ना चोथा अङ्गरूपे पञ्चव्रतनां छेल्लां बे व्रतोनो बहिद्धादान- वेरमणंरूपे शा माटे समावेश कर्यो ? १११ आना अनुसन्धानमां एक अतिप्राचीन छतां प्राय: अप्रसिद्ध एवा इसिभासियाई सूत्रने आश्रयीने कांईक विचारीए. १९४२ ना आ आगमना पोताना सम्पादनमां शब्रिंगे ध्यान दोर्यु छे के, ४५ प्रत्येकबुद्धोमांना प्रथम (प्राय: अनिर्ग्रन्थ) एवा नारद ऋषिना अधिकारमां तेमनां प्रथम त्रण व्रतो तो प्राणातिपात विरमण व.ज छे, परन्तु चोथुं व्रत अब्बंभ - परिग्गह नामक कह्युं छे. आ वात भगवान महावीर पहेलांनी चार व्रतोनी परम्पराने पुष्टि आपे छे. आज सूत्रना ३१मा पासिज्ज नामज्झयणं मां पार्श्व ऋषिना उपदेशोनो समावेश कर्यो छे. तेना बे पाठो छे. तेमां प्रथम पाठमां लोक-गति कर्मविपाकादिनुं वर्णन छे ज्यारे बीजा पाठमां प्राणातिपातथी यावत् परिग्रह पर्यन्तनुं वर्णन छे परन्तु मैथुननी वात ज करवामां आवी नथी. तेथी एवो सन्देह थाय छे के ब्रह्मचर्य ते व्रतोमा समाविष्ट हतुं के नहि ? आना पछी एवं विधान छे के - जे निर्ग्रन्थ ज्ञानी अने चाउज्जामथी संवृत छे ते आठ कर्मोने फरी बांधतो नथी. अहीं शुब्रिंग कहे छे के, '३१मा अध्ययनना बीजा पाठने अनुसारे तो इसिभासियाई सूत्र ऐतिहासिक छे. ' परन्तु अहीं द्रष्टव्य ए छे के आ सर्वप्रथम आगमिकसूत्र छे जेमां चाउज्जामनो सम्बन्ध निर्ग्रन्थ साथे दर्शाववामां आव्यो छे अने ते पण पास नामना साधु साथे के जे कदाचित् २३मा तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ पण होई शके. ( हवे बौद्धग्रन्थोने आश्रयीने चर्चा करीए.) पूर्वे निर्दिष्ट सामञ्ञलफलसुत्तनी जेम दीघनिकायनां बीजां पण बे सूत्रो चातुयाम संवरना आपणा अभ्यास माटे उपयोगी छे. ते बन्नेनुं नाम सीहनादसुत्त छे. तेमनो विषय 'निर्वाणप्राप्ति माटे साधुजीवनमां कराता स्वनिग्रहना गुण-दोषो' छे. अहीं, प्रथम कस्सपसीहनाद सुत्त (क्र. ७) मां चातुयाम संवरनी कोई चर्चा नथी, परन्तु मात्र बुद्धे निग्रोधनामक भिक्षुनो अछडतो उल्लेख कर्यो छे जेनी कथा उदुम्बरिकासीहनाद सूत्र ( क्र. २५) मां छे. आ सुत्तमां चातुयाम संवरनुं प्राय: तेवुं ज वर्णन छे जेवुं स्थानाङ्गसूत्रमां छे, परन्तु तेमां निग्गंथ नातपुत्त के बीजा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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