Book Title: Paiso Ka Vyvahaar
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Mahavideh Foundation

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Page 47
________________ पैसों का व्यवहार इसलिए जहाँ लक्ष्मी और स्त्री संबंध हो वहाँ पर खड़े नहीं रहना । सोच-समझकर गुरु बनाना। लीकेजवाला (बगैर निष्ठा का ) हो तो मत करना। ८१ जिसकी सर्वस्व प्रकार की भीख गई उसे इस संसार के सारे रहस्य का ज्ञान प्राप्त होता हैं, पर भीख जाये तब न! कितने प्रकार की भीख, लक्ष्मी की भीख, कीर्ति की भीख, विषयों की भीख, शिष्यों की भीख, मंदिर बाँधने की भीख, सारी भीख, भीख और भीख है ! वहाँ हमारी दरिद्रता कैसे मिटे ? एक व्यक्ति मुझ से कहे कि, 'उसमें दुकानदार का दोष कि ग्राहक का दोष?' मैंने कहा, 'ग्राहक का दोष!' दुकानदार तो चाहे सो दुकान निकालकर बैठ जायेगा, हमें समझना नहीं चाहिए? संत पुरुष तो पैसे लेते नहीं । दुखिया है इसलिए तो वह आपके पास आया और ऊपर से उसके सौ छीन लिए! किसी ने हिन्दुस्तान को खतम किया हो तो ऐसे संतों ने खतम किया है। संत तो उसका नाम कहलाये कि जो अपना सुख दूसरों को बाँटते हो, सुख लेने नहीं आये होते। यह संघ इतना परिशुद्ध है कि जिसमें मैं (दादाजी) तो अपने घर के कपड़े धोती पहनता हूँ। संघ के पहनता होता तो चार सौ - चार सौ के मिले न? अरे, मैं तो नहीं लेता, मगर यह (नीरू) बहन भी नहीं लेतीं ! यह बहन भी मेरे साथ रहती हैं और वह कपड़े अपने घर के पहनती हैं। इस दुनिया में जितनी स्वच्छता उतनी दुनिया आपकी, आप मालिक है इस दुनिया के ! जितनी आपकी स्वच्छता !! मैं इस देह का छब्बीस साल से मालिक नहीं रहा, इसलिए हमारी स्वच्छता पूर्णतया होगी। इसलिए स्वच्छ हो जाइये, स्वच्छ ! स्वच्छता माने इस दुनिया की किसी चीज़ की ज़रूरत ही नहीं होती, भिखारीपन ही नहीं होता ! पैसों का व्यवहार अब भी पछतावा करोगे तो इसी देह से पाप भस्मीभूत कर सकोगे। पछतावे का ही सामायिक कीजिए। किसका सामायिक ? पछतावे का सामायिक, क्या पछतावा ? तब कहे, मैंने लोगों से गलत पैसे लिए वे सभी जिसके लिए हो उसका नाम देकर, उसका चेहरा याद करके, व्यभिचार आदि किया हो, दृष्टि बिगाड़ी हो वे सभी पाप धोना चाहो तो अब भी धो सकते हो। ८२ लोगों का कल्याण तो कब होगा? हम बिलकुल स्वच्छ हो जायें तब ! प्यॉरिटी (शुद्धता) ही सभी को, सारे संसार को आकर्षित करे । इमप्यॉरिटी (अशुद्धता) संसार को फ्रेक्चर कर डालें। इसलिए प्यॉरिटी लायें। - जय सच्चिदानंद

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