Book Title: Pahuda Doha Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ 38. 39. 40. 41. 42 43. 44 45. अप्पा मिल्लिवि जगतिलउ जो परदव्वि रमंति । अण्णु कि मिच्छादिट्ठियह मत्थइ सिगइ होति ॥ 12 1 अप्पा मिल्लिवि जगतिलउ मूढ म भायहि श्रण्णु जि मरगउ परियाणियउ तहु किं कच्चहु गण्णु ॥ प्रणु जि जीउ म चिति तुहु जइ वीहउ दुक्खस्स तिलतुसमित्तु वि सल्लडा वेयरण करइ अवस्स || अप्पाए वि विभावियई गासइ पाउ खरपेरण सूरु विणासइ तिमिरहरु एक्कल्लउ णिमिसेण ॥ जोइय हियडइ जासु पर जम्मरणमररण विवज्जियउ एकु जि रिपवसइ देउ ! तो पावइ परलोउ 11 कम्मु पुराइउ जो खवइ श्रहिरणव पेसु ण देइ । परमरिंगरंजणु जो जवइ सो परमप्पउ होइ ॥ पाउ वि ग्रह परिरणव कम्मई ताम करेइ । परमणिरंजणु जाम ण वि रिणम्मलु होइ मुणेइ ॥ लोहह मोहिउ ताम तुहं विसयहं सुक्ख मुरोहि 1 गुरु पसाएं जाम ण वि अविचल बोहि लहेहि ॥ [ पाहुडदोहा चयनिका

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105