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अप्पा मिल्लिवि जगतिलउ जो परदव्वि रमंति । अण्णु कि मिच्छादिट्ठियह मत्थइ सिगइ होति ॥
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अप्पा मिल्लिवि जगतिलउ मूढ म भायहि श्रण्णु जि मरगउ परियाणियउ तहु किं कच्चहु गण्णु ॥
प्रणु जि जीउ म चिति तुहु जइ वीहउ दुक्खस्स तिलतुसमित्तु वि सल्लडा वेयरण करइ अवस्स ||
अप्पाए वि विभावियई गासइ पाउ खरपेरण सूरु विणासइ तिमिरहरु एक्कल्लउ णिमिसेण ॥
जोइय हियडइ जासु पर जम्मरणमररण विवज्जियउ
एकु जि रिपवसइ देउ !
तो
पावइ परलोउ 11
कम्मु पुराइउ जो खवइ श्रहिरणव पेसु ण देइ । परमरिंगरंजणु जो जवइ सो परमप्पउ होइ ॥
पाउ वि ग्रह परिरणव कम्मई ताम करेइ । परमणिरंजणु जाम ण वि रिणम्मलु होइ मुणेइ ॥
लोहह मोहिउ ताम तुहं विसयहं सुक्ख मुरोहि 1 गुरु पसाएं जाम ण वि अविचल बोहि लहेहि ॥
[ पाहुडदोहा चयनिका