Book Title: Padma Pushpa Ki Amar Saurabh
Author(s): Varunmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 146
________________ |.* १४२ * * पद्म-पुष्प की अमर सौरभ * में सहायक ग्रन्थ ही होते हैं। विज्ञानादि क्षेत्रों में वर्तमान काल में होने वाली क्रियाओं को जाँचने, परखने और परिमार्जित का अवसर ग्रन्थ निबद्ध श्रुत से प्राप्त हो सकता है और उन क्रियाओं के निष्कर्षों को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें ग्रन्थारूढ़ किया जा सकता है। भूतकाल और वर्तमानकाल का शास्त्र-संचित ज्ञान अपने में भविष्यकाल के लिए निर्देश सुरक्षित रखता ही है। चार पुरुषार्थों की रचना ___ चारों ही पुरुषार्थों के विषय में अनेकानेक ग्रन्थों की रचनाएँ हुई हैं और हो रही हैं। सम्प्रति मानव-मन विकारों को उत्तेजित करने वाले साहित्य की विपुलता हो रही है। ग्रन्थ-वाचन के नाम पर जनमानस विकार-वर्द्धक साहित्य की ओर प्रायः उदासीनता दिखाई दे रही है। श्रुत-वाचन में विवेक रखना आवश्यक है। यहाँ पर प्रधान श्रुत का निर्देश किया गया है। चारों पुरुषार्थों में मोक्ष पुरुषार्थ प्रधान है। अतः मोक्ष पुरुषार्थ विषयक श्रुत ही प्रधान श्रुत है। मोक्ष पुरुषार्थ से सम्बन्धित श्रुत भी अनेक प्रकार का है। अतः उन सबसे पृथक् रूप से जतलाने 'जिनागम' शब्द का निर्देश किया गया है अर्थात् 'जिनागम' ही प्रधान श्रुत है और उसी श्रुत से यहाँ पर सम्बन्ध है। 'जिनागम' अर्थात् जिनेन्द्र भगवान के द्वारा उपदिष्ट श्रुत ही है। अन्य श्रुत और जिनागम के अन्तर को स्पष्ट करने के लिए यहाँ पर दो उदाहरण हैं, जैसे-पत्ते और नाव की उपमा दी गई है। पत्ते की उपमा-अगर कोई व्यक्ति पत्ते की नौका बनाकर या पत्ते से ही नदिया पार करना चाहे तो नहीं कर सकता, बल्कि वह बीच मझधार में ही डूब जायेगा। वह किसी भी सुरक्षित स्थान में पहुँच नहीं सकता। ___नाव की उपमा-नाव व्यक्ति को गन्तव्य स्थान पर सुरक्षित पहुँचा देती है। इसी प्रकार भव प्रवाह में अन्य श्रुत की स्थिति पत्ते के समान है और 'जिनागम' श्रुत नाव के समान है। मिथ्या श्रुत जिस श्रुत में मनुष्यों को मोक्ष पुरुषार्थ में लगाने की सामर्थ्य नहीं है और जो अनाप्त पुरुषों से कथित है, वह मिथ्या श्रुत है। ऐसा श्रुत मनुष्यों की वासनाओं को उबारता है, मूढ़ मान्यताओं को रूढ़ करता है और विवेक बुद्धि को विकल बना देता है। जैसे जल प्रवाह में गिराया गया काठ प्रवाह में बहता रहता है, वैसे ही मिथ्या श्रुत भी मनुष्यों को विषयों में, मिथ्या मान्यताओं में बहा ले जाता है।

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