Book Title: Nitishastra Jain Dharm ke Sandharbh me
Author(s): Devendramuni
Publisher: University Publication Delhi

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Page 500
________________ हिन्दी साहित्य की सूक्तियां - अति अति न करहु अतिता बुरी, चाहे होय ललाम । देखहु कीरा परत हैं, अति मीठे जो आम।। -नीति छन्द अभिमान रहिमन गली है सांकरी, दूजौ ना ठहराइ। आपु अहै तो हरि नहीं, हरि तो -आपुन नाहि।। -रहीम दोहावली, 182 अवगुण आये औगुन एक के, गुण सब जात नसाय। जथा खार जल रासि को नहि कोऊ जल खाय।। -दृष्टान्त तरंगिणी, 134 अहिंसा मानव नियम अहिंसा धर्म निधन। -गोरखबानी, 29 परमधर्म स्रुति विदति अहिंसा।। -तुलसी : रामचरितमानस हिंसा द्वारा न्याय होता है अन्याय युत। -महात्मा भगवानदीन-स्वदेश सतसई, पृ. 4

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