Book Title: Nishesh Siddhant Vichar Paryay
Author(s): Labhsagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 6
________________ ज छेदसूत्राने ' श्रुतपुरुष नी रचनामां मस्तिष्कमा स्थान अपायु छ। आथी आ छेदसूत्रो तमाम सिद्धातामा सारभूत गणवामां आवे ते सुयोग्य छ अने अहिआं मुख्यताए छेदना विचारा ने पर्यायो छे / पम मानीने मुखपृष्ठ उपर नि:शेषसिद्धांतविचार पर्याय' लख्यु हाय ! आ तकना आधार आ नथनु गुणनिध्यक्ष नाम मुखपृष्ठ उपर राख्यु योग्य गणाय / नंथ विषय परिचय परिमाणमा नाना देखाता पण अर्थथी अने विषयथी अगाध, आ ग्रंथमा बीजा बीआ आगमोना अर्थ तथा विचाराने अल्पस्थान आपया साथे छेदनधोना विचार अने अथेने मुख्य स्थान आप्यु छ / नाना नाना घणा विषयाने प्रकाश आपता ग्रंथकारे अनुधर्म उपर सारो प्रकाश फेक्यो छे / धर्तमानमा घणांओं पेपर आदि द्वारा पकवार नहिं यण अनेकवार उच्चारी के लखी चूक्या छ के- 'भगवाननु कहेल करवानुछे करेलु नहिं ' तेओ ग्रंथना प्रथम खण्डन 38 मुं पत्र घांची जाय, वधु खुलासा माटे निशीथचूर्णिनी 4855 मी गाथा, तेमज यतिजीतकल्प, बृहत्कल्प ने जोइ सत्यनो स्वीकार करे एज इच्छा / जे जे विचार। संपिडित (संकलित ) कयां छे ते ते अंगेना मूलय थनी गाथाओ तथा अर्थने यथावत् उद्धत करी तेना पर पोते निष्कर्षरूपना का संस्कृत वाक्या मूक्या छ। जेथी आ गाथाना शो आशय छ 1 ते अल्प बुद्धिवालापण तूर्त समजी जाय तेम छ / आज कारणे संग्रहनो प्रयास घणोज स्तुत्य छे अने वर्तमानसमये मुद्रणनी प्रयास पण अल्प उपकारक नथी। ग्रंथकार-परिचय आ लगुकायथना कर्तानो परिचय मेललवा मुख्य साधन

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