Book Title: Nemiranga Ratnakar Chanda Aswad ane Path Arthshuddhi
Author(s): Kantilal B Shah
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 2
________________ अनुसन्धान-५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-१ केन्द्रमा राखीने पूर्वापर घटनाओ, एमां निरूपण थयुं छे. कृष्णना अन्तःपुरनी राणीओनुं नेमि साथेनुं वसन्तखेलन, एमनी हसीमजाक, लग्न माटेनी एमनी विनवणी, नेमिए दर्शावेली दाम्पत्यजीवननी मुसीबतो, छेवटे लग्न माटेनी मूक संमति, नेमिनुं जानप्रस्थान, मांडवे पशुपंखीनो भोजनार्थे थतो वध, पशुचित्कार सांभळी नेमिनो निर्वेद, लीला तोरणेथी एमर्नु पाछा फरी जवू, राजुलनी विरहव्यथा, गिरनार पर नेमिनी दीक्षा अने केवलपदप्राप्ति, एमनी उपदेशवाणी, अन्ते प्रतिबोधित राजुलनो संयमस्वीकार - आ बधा प्रसंगोने कविए कलात्मक रीते आलेख्या छे. __ अन्त्यानुप्रास, चरणान्तप्रास, आन्तरप्रास, शब्दानुप्रास, वर्णसगाई, झडझमक, यमकप्रयोग, रवानुकारी शब्दावलि - आ बधाथी ऊभुं थतुं नादसंगीत अने रमणीय लयछटा कृतिना बहिरङ्गने सौन्दर्यमण्डित करे छे तेमज कृतिना छन्दोगानने सहायक बने छे. दुहा, रोळा, हरिगीत, आर्या, चरणाकुल, पद्मावती, पद्धडी जेवा मुख्यत्वे मात्रामेळ छन्दोमां आ कृति रचाई छे. छन्दोगान ए आ कृतिनुं माणवा जेवू तत्त्व छे, जे कृतिने अपायेली 'छन्द' संज्ञाने सार्थक करे छे. ज्यां छन्द के वर्णन, एकम बदलाय छे त्यां अन्तिम चरणना शब्दोने पछीनी पंक्तिना आरम्भे पुनरावर्तित करीने लगभग ३० थी वधु स्थानोमां कविए करेला ऊथलाना प्रयोगो ए आ कृतिनी विशेषता छे. जेमके कडीना अन्तिम शब्दो 'जीता वयणे चंद' ए पछीनी कडीना आरम्भमां 'जीता जीता वयणि चंदला' एम ऊथला रूपे आवे छे. समग्र काव्य बे अधिकारमा विभक्त छे. प्रथम अधिकारमा १० अने बीजामां १६२ एम कुल २५२ कडीनुं आ काव्य छे. - कृतिनो आरम्भ कवि सरस्वतीवन्दनाथी अने काव्यप्रबन्ध अर्थे सुमतिनी कृपायाचनाथी करे छे. 'सारद सार दया कर देवी, तुझ पयकमल विमल वंदेवी, मागू सुमति, सदा तइं देवी, दुरमति दूर थिकी नंदेवी. (१/१) कृतिना बहिरङ्गने कवि केवू शणगारे छे एनो अणसार आपणने पहेला अधिकारनी पहेली कडीथी ज मळी रहे छे. अहीं अन्त्यानुप्रास-चरणान्तप्रास छे. देवी, वंदेवी, देवी, नंदेवी - ए प्रत्येक शब्दमां 'देवी' उच्चारणनो

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10