Book Title: Nemiranga Ratnakar Chanda Aswad ane Path Arthshuddhi Author(s): Kantilal B Shah Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 5
________________ ७१ डिसेम्बर २०१० पतिदुःखे दुःखी थनारी, दानी, शीलवती अने इकोतेर पेढी तारनारी होय छे. नेमिनाथे हा के ना कहेवाने बदले मौन रहेतां भाभीओए नेमिनी लग्न माटेनी मूक संमति मानी लीधी. बीजा अधिकारनो आरम्भ पण कवि सरस्वतीदेवीनी कृपायाचनाथी करे छे अने देवीओ अगाउ आपेला वाणीना वरदान- पालन करवा वीनवे छे. ११ थी २३ कडी उग्रसेन राजानी पुत्री राजुल-राजिमतीना सौन्दर्यवर्णनने आवरे छे. आ वर्णनने कविए उपमा, रूपक तेमज विशेषतः व्यतिरेकोथी अलङ्कत कर्यु छे. 'जीता जीता वयणि चंदला, त्राठा गया गयणि नाठा, दिवस ऊगता माठा लाजि मरई' (२/१६) 'वेणइं वासग जित्त जव, जइ पइआलि पइठा, जीतां रातां कमल करि, जइ जल मांहि नाठा.' (२/२०) नेमिनाथन राजुल साथे सगपण कराय छे. लग्ननी पूर्व तैयारीओना वर्णनमां ते समयना लग्नोत्सवो केवी रीते ऊजवाता एन प्रतिबिम्ब जोवा मळे छे. मण्डपनी रचना, भोजननी विविध वानगीओ, जमण अने पीरसण व.नां वीगतभाँ चित्रणो अहीं अपायां छे'मोटा मोदक मूंकीइ मधुरा अमृत समान, खरहर खाजां चूरीयइ बहुत परि पकवान.' (२/४०) ए ज रीते नेमिनाथना वरघोडाना वर्णनमां वरराजानो शृङ्गार, जानैयाओनो उत्साह, गान-वादन-नर्तन-खेलननो आनन्दकिल्लोल व.नां चित्रणो रसपूर्ण रीते थयां छे : 'खेलंति खेला खंति, ते ताल नवि चूकंति, वाजिन वर वाजंति, घण ढोल ढमढमकंति.' (२/६४) ६८-६९मी कडीमां राजुलना नववधूना शणगारनुं वर्णन छे. 'पहिरइ सिरि सिणगार सार, आरोपिउ रिदय उदार हार, झबकइ झाझी झालि गालि, मयमत्ता मयगल जित्त चालि.' (२/६८)Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10