Book Title: Nemidutam Author(s): Vikram Kavi Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi View full book textPage 7
________________ नेमिदूतम् जिनकी सतत प्रेरणा एवं आशीर्वाद से यह अत्यन्त दुरूह कार्य मुझ जैसे अल्पज्ञ के लिए सम्भव हुआ तथा प्रस्तुत ग्रन्थ की भूमिका लेखन में जिन विद्वान् लेखकों की कृतियों से सहायता ली गई है, उनका मैं आभारी हूँ। यहाँ मैं स्पष्ट कर देता है कि पाठकों की निजी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए हमने प्रस्तुत प्रथम संस्करण में कुछ निश्चित क्रम रखा है, परन्तु कवि के अभिप्राय को सुबोध रूप में, पाठकों अथवा विद्वानों के अपने करने के लिए कुछ भी रहने न दिया गया हो-ऐसी बात नहीं है। और यदि पाठक अर्थमात्र देखकर ही अपना कार्य पूर्ण समझ लें, तो फिर हमारा सब परिश्रम व्यर्थ ही हो जायेगा। हमारा काम था मार्ग दिखाना, सो दिखा दिया। पाठकों की स्वाभाविक परिश्रम-वृत्ति कुण्ठित न हो, परिहृत न हो, प्रत्युत वे रसान्वित होती चले, नव परामर्शो प्रेरणाओं से विलसित होती चले-हमारा यही ध्येय रहा है, परन्तु इस कार्य में मुझे कितनी सफलता मिली है, इसकी समीक्षा सुधिपाठकजन ही करेंगे । अन्त में, हम अपने विद्वान् पाठकों से प्रस्तुत संस्करण की त्रुटियों के लिए क्षमा चाहते हुए यह निवेदन करते हैं कि वे इसकी त्रुटियों की सूचना देकर हमें अनुगृहीत करें, जिससे भविष्य में इनका निराकरण किया जा सके। रामनवमी विक्रम सं० २०५१ विनयावनत धीरेन्द्र मिश्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 190