Book Title: Naya Manav Naya Vishwa Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Adarsh Sahitya Sangh View full book textPage 8
________________ कुछ लोग आचार्य महाप्रज्ञ को दूसरे विवेकानन्द के रूप में देखते हैं। मेरे मन में विवेकानन्द के प्रति बहुत ऊंचे भाव हैं। फिर भी मैं चाहता हूं कि महाप्रज्ञ को महाप्रज्ञ ही रहने दें। महाप्रज्ञ शब्द अपने आप में इतना गरिमापूर्ण है कि इसके लिए किसी दूसरी उपमा की अपेक्षा नहीं है। महाप्रज्ञ ने अपनी प्रज्ञा से नए मानव और नए विश्व का जो मॉडल प्रस्तुत किया है, उसके अनुरूप मानव का निर्माण करने की दिशाएं खुलें, यही इस प्रयोग या पुस्तक की मूल्यवत्ता है। गणाधिपति तुलसी अध्यात्म-साधना-केन्द्र छतरपुर रोड, मेहरोली नयी दिल्ली-११००३० १ अगस्त १६६४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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