Book Title: Naya Manav Naya Vishwa Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Adarsh Sahitya Sangh View full book textPage 7
________________ आशीर्वचन यह एक सचाई है कि आज का मानव पुराना पड़ गया, जीर्ण-शीर्ण हो गया। पुराने और जीर्ण-शीर्ण मकान की मरम्मत की जाती है अन्यथा वह किसी भी समय खतरा पैदा कर सकता है। पुराना मानव भी कभी-कभी खतरनाक बन जाता है। इसलिए नए मानव की कल्पना हृदयग्राही और आकर्षक है। मानव नया होगा तो विश्व अपने आप नया हो जाएगा। 'नया मानव' सुधार या रूपान्तरण से नहीं बनेगा, उसका नए सिरे से निर्माण करना होगा। इस चिन्तन ने लोगों में जिज्ञासा जगाई कि वह नया मानव कैसा होगा ? | मैंने आचार्य महाप्रज्ञ को नए मानव का मॉडल प्रस्तुत करने के लिए निर्देश दिया। निर्देश मिले और उसकी क्रियान्विति न हो, यह ‘महाप्रज्ञ' के स्वभाव के अनुकूल नहीं है। वे मुझे बार-बार कहते हैं- 'यथा नियुक्तोऽस्मि तथा करोमि'-आप मुझे जिस काम में नियुक्त करते हैं, मैं वही करता हूं। नियोक्ता और प्रयोक्ता का यह एक दुर्लभ योग है। तीन सप्ताह की प्रवचन माला उसी नियोजन की निष्पत्ति है। 'नया मानव : नया विश्व' पुस्तक को एक मॉडल का रूप माना जा सकता है। नए मानव की आचार संहिता अहिंसा की आचार संहिता है। अहिंसा की आचार संहिता अणुव्रत की आचार संहिता है। अणुव्रत की आचार संहिता ही नए मानव की आचार संहिता हो सकती है। प्रेक्षा एक प्रयोग है मानव को उस आचार संहिता में ढालने का। जीवन विज्ञान एक प्रक्रिया है सिद्धान्त और प्रयोग के समन्वय की। अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान और जीवनविज्ञान के द्वारा नए मानव का निर्माण संभव है, प्रस्तुत पुस्तक का प्रतिपाद्य यही है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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