Book Title: Naya Manav Naya Vishwa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 12
________________ तीसरा संस्करण नया और पुराना—सापेक्ष शब्द है। इसके साथ अच्छा और बुरा होने की व्याप्ति नहीं है। पुराना अच्छा हो सकता है, नया बुरा । नया अच्छा हो सकता है, पुराना बुरा। इसलिए नए पुराने की चर्चा अपेक्षित नहीं है। अपेक्षा यह है कि वर्तमान मानव मानवीय मूल्यों के प्रति बहुत उदासीन हो रहा है, उससे मानव की गरिमा कम हो रही है, उसे बदलने की जरूरत है। उस नए मानव के जन्म की जरूरत है, जो मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पित हो। प्रस्तुत पुस्तक का यह दृष्टिकोण पाठक को आकृष्ट कर रहा है। आचार्य महाप्रज्ञ जैन विश्व भारती लाडनूं २५ दिसंबर १६६५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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