Book Title: Navtattva Chopai
Author(s): Diptipragnashreeji
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ डिसेम्बर २०११ तिम एकळं कर्म हुई जीवसुं विवरीनइं तेहविं कहिसु जिम कोइक वैद्य थकी नीपनी गोली मधु वा गुलें करी संपनी ॥३॥ बांधतां च्यार वानां बंधाई द्रव्ययोगइं स्वभाव जूदा कहिंवाई स्थिति काल अनुभाग रस जेह प्रदेस दलपरिमाणइं तेह ॥४॥ एक गोली टालई खास खास एक हरई जलोदरनो वास। एकथी सन्निपात ते ५२जाय एक निवारइं पित्त नइं वाय ॥९॥ प्रकृति स्वभावई इम गुण करई बीजी स्थिति आयु इम धरइं दिन पख मास छ मास ते रहइं पछई विणसइं गुण नवि नहई ॥१०॥ त्रीजो रस गोलीनो जेह खारी खाटी मधुरी तेह प्रदेश चोथो तोल प्रमाण इम कहीइं गोली चउ माण ॥११॥ इण दृष्टांतई जीवनो धर्म पुद्गल लेई बांधई कर्म ज्ञान दर्शन चारित्र आदरई वारई दुख नइं सुख अनुसरई ॥१२॥ प्राणनइं प्रकृतिबंध ए कह्यो एगेई कर्म स्वभाव संग्रह्यो बीजुं स्थिति रहवा- आय नाण दंसणावरण वेदनी अंतराय ॥१३॥ त्रीस कोडाकोडिं सागर विशाल तेत्रीस सागर आयुनो काल वीस कोडाकोडि नाम गोत्रनुं आय सितरि कोडाकोडि मोहनी कहाय ॥१४॥ जघन्य वेदनी मुहूरत बार नाम गोत्र ते आठ५४ विचार स्थिति थोडी बीजां कर्म तणी अंतमुहत्तप्रमाण लघु भणी ॥१५॥ त्रीजुं अशुभकर्मरस लींब शुभकर्मरस साकरटींब कर्मतणां दल चोथु प्रदेश एक भारे हलूया लवलेश ॥१६॥ सोवन आठिल सम शुभ कर्म लोह५५ समान कहिइं अशुभकर्म बंध तत्त्व ए च्यार प्रकार देवचंद कवि कहें विचार ॥१७॥५६ नवमुं मोक्ष तत्त्व सुविचार सुक्ख अनंततणो भण्डार सकलकर्म तणो क्षयकरी जीव रहइं तिहां सुख अणुसरी ॥१॥ ५७सोगठी अग्यारि जिम अमर तिम [ति] हां प्रांणी पणि ते अमर गणधर तीर्थंकर पद इहां सर्वजीव अंतर नहीं तिहां ॥२॥ अर्द्धचंद्र सम तस आकार लाख पिस्तालिस योजन विस्तार तेहनो भेद न दीसई कोय पणि परूपणा नवविध होय ॥३॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24