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अध्ययन
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तेलीसइमे
गुणा उत्तरम्भणाणेसो
श्लोक
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सूत्र
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इत्तो shoori पुण अग्भवणं
५५
विषय
विनय
प्राप्त कष्ट सहन का विधान चार दुर्लभ अंगों का प्रतिपादन । प्रमाद और अप्रमाद का प्रतिपादन । मरण-विभक्ति-अकाम और सकाम मरण ।
विद्या और आचरण ।
रस-मृद्धि का परित्याग |
लाभ और लोभ के योग का प्रतिपादन । संयम में निष्प्रकम्प भाव
अनुशासन ।
बहुश्रुत
तप क
निद
अनि
भिक्षु के गुण । ब्रह्मचर्य की गुप्तियां । पाप-वर्जन |
ना ।
ल्प ।
असंकल्प |
भोग और ऋद्धि का त्याग ।
अपरिकर्म देहायास का परित्याग ।
अनाथता ।
विचित्र चर्या ।
चरण का स्थिरीकरण
धर्म- चातुर्याम और
समितियां-गुप्तियां | ब्राह्मण के गुण ।
सामाचारी ।
अशठता ।
मोक्ष-गति ।
आवश्यक में अप्रमाद ।
कम्म चउतीसइमे यहुति लेसाओ ।
पणती जीवाजीवा
य छत्तीसे ॥
पडस्थो वणिओ समासेणं ।
किलस्थामि ॥
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