Book Title: Nav Padarth
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 6
________________ प्रथम संस्करण का प्रकाशकीय प्रस्तुत प्रकाशन स्वामी भीषणजी (आचार्य भिक्षु) की एक विशिष्ट विषय की सजस्थानी पद्यकृति 'नवपदारथ' का हिन्दी अनुवाद और सटिप्पण विवेचन है। ___ मूलग्रन्थ में जैन धर्म के आधारभूत नौ तत्त्व-जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध और मोक्ष का विशद विवेचन है। जैन तत्त्वों की मौलिक ज्ञाान-प्राप्ति के लिए यह ग्रन्थ अत्यन्त उपयोगी है। तेरापंथ द्विशताब्दी समारोह के बाद स्वामी भीषणजी का द्वितीय चरम महोत्सव दिवस भाद्रपद शुक्ला त्रयोदशी संवत् २०१८ के दिन पड़ता है तथा शुक्ला नवमी संवत् २०१८ का दिन आचार्य तुलसीगणी के पट्टारोहण के यशस्वी पच्चीस वर्षों की सफल सम्पूर्णता का दिन है। दोनों उत्सवों के इस संगम पर प्रकट हुआ यह प्रकाशन बड़ा सामयिक और अभिनन्दन स्वरूप है। आशा है पाठक स्वामी भीषणजी की विशिष्ट कृति के इस विवेचनात्मक संस्करण का स्वागत करेंगे एवं इसे अपना कर ऐसे ही अध्ययनपूर्ण प्रकाशनों को प्रोत्साहन देंगे। ३ पोर्तुगीच चर्च स्ट्रीट कलकत्ता - २ भाइसक्ला २. स० २०१८ श्रीचन्द रामपुरिया व्यवस्थापक तेरापंथ द्विशताब्दी साहित्य विभाग

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