Book Title: Nandi Sutra Tika
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________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra wwakobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsun Gyanmandir नंदी टी. 加諾米米米諾器端端端端端端諾諾盡誤光器器 विधतीजसथाभावाचारकाणां नाभिनवप्रभूततरपायोपचयः यद्येवं ताई समोहोमहोपकारी तथाहि सम्मोतवथानपरत्वातीव संक्ल शास्तीत्रवेदनाभाव तच माम्बवपापकर्मपरिक्षयः संमोहन हिंश्रव्यापारादुपजायते ततोरिसकामहोपकारीण इति सिहमस्मत्समोहितं तदयुक्तं हिंसकानां परपीडोत्पादनत: क्लिष्टकर्मबंधप्रसक्त: न खल पापस्य परपीडामतिरिच्यान्यचिबंधनमीक्षामहे बदिस्यात्तहिमुक्तानामपि पापबन्धप्रसंगस्तेषामहिंसकत्वान्ततः कथमिवसचे तनो मनसापिपर व्यापादयितुमुत्महे इत्यलंपापचेताभिः सक्षप्रसंगेन तथाजयति जगत्पितामह इति ग्रंथाच 530 सजगच्छन्दन सकलमत्वपरिग्रहा ततच जगतां सकलसत्वानां नरकादिकुगतिविनिपातभयापायरक्षणात्मितेव पितासम्यग्दर्शनमूलोत्तरगुणसंततिस्वरूपो धर्म: स हि दुर्गती प्रपततो जंबन रक्षतिशुभेच नि:श्रेयसादौ स्थाने स्थापयति स्थाचोक्त निरुतशास्त्र वेदिभिः दुर्गतिप्रसृतान् जंवन्यस्माद्वारयतेत: धत्तेचैतान् शुभेस्थाने तस्माहर्म इतिमतः ततः सकलस्यापि प्राणिगणस्य पिटतल्यः तस्यापि च भगवान् अर्थतस्तेन प्रवीतत्वात् ततो भगवान् जत्यिताम: जयतीति पुन: क्रिया भिधानवाधिकाराददुष्ट उक्त च समायभाणतवो महेसुउवए मथुडूपयाणेसु संतगुणकित्तणमु यनहोतिपुणारत्तमोसाउ 1 अनेनापि परार्थसंपद माह भगवानिति भग: समग्रेड, दिलक्षण: आचच ऐश्वर्यस्व समग्रस्वरूपस्य यशसः श्रियः धर्मस्वाथ प्रयत्नस्य पसाभग इतौंगनार भगोस्खास्तीति भगवान् अनेन स्वपरार्थसंपदमाह स्वपरोपकारित्वादेम्वर्यादेः स देवमनादिमंतोनंता तीर्थकृत इति ज्ञापनार्थ सामान्यतस्तीर्घकनमस्कारमभिधाय सांप्रत ___ भयवं 1 जयद् सुयाणं पभवो तित्थयराणं अपच्छिमो जय जयद् गुरुलोगाणं जयद् महप्पामहाबौरो भई जगु ज जयवंताप्रवत्र्यो जयहोज्योतेहनी जियो विषयकषावरूप बमुचिछे तेहनेटालवेकरी सदापवित्रले नानेकरीप० मोटीप्रभा के जेहनोतवासु श्रुतसिहांत 諾柴業諾諾諾器米米諾諾諾論諾狀张器諾諾器器諾米 भाषा For Private and Personal Use Only

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