Book Title: Naman
Author(s): Madhuban Educational Books
Publisher: Madhuban Educational Books

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Page 43
________________ हे जग त्राता विश्व-विधाता, हे सुख-शान्ति निकेतन हे ! प्रेम के सिन्धू, दीन के बन्धू, दुःख - दरिद्र - विनाशन हे ! नित्य, अखंड, अनंत, अनादि, पूरण ब्रह्म, सनातन हे ! जग-आश्रय, जग-पति, जग-वंदन, अनुपम, अलख निरंजन हे ! प्राणसखा, त्रिभुवन - प्रतिपालक, जीवन के अवलंबन हे ॥ मां शारदे 5 S मां शारदे हंसवाहिनी, वीणापाणि, ब्रह्मभामिनी, कलास्वामिनी । जगतार दे 5 S S मां शारदे 5 S S हृदय गगन में, मर्त्य-भवन में, मुक्त पवन में जनजीवन में जन जीवन में रश्मि कर दे मां शारदे 5 S S S ज्ञान हीन में ध्यानहीन में मुक्तिहीन, विवेकहीन में विवेकहीन में ज्ञान भर दे मां शारदे 5 SS विवेकहीन में ज्ञान भर दे ॥ 42

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