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माई मैंने गोविन्द लीनो मोल, गोविन्द लीनो मोल ॥ कोई कहे सस्ता, कोई कहे महँगा, लीनो तराजू तोल ॥१॥ कोई कहे घर में, कोई कहे बनमें, राधा के संग किलोल ॥२॥ मीरां के प्रभु गिरधर नागर, आवत प्रेम के डोल ॥३॥
राम-नाम-रस पीजै,
मनुआ राम-नाम-रस पीजै । तज कुसंग सत-संग बैठ नित,
हरि-चरचा सुनि लीजै ॥ काम क्रोध मद लोभ मोह कूँ,
बहा चित्त सों दीजै । मीरां के प्रभु गिरधर नागर,
ताहि के रंग में भीजै ॥
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