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मुंबई के जैन मंदिर
शिष्यरत्न आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म., नेमि-लावण्य समुदाय के आ. श्री प्रभाकरसूरीश्वरजी म., आ. श्री विजय प्रेम-रामचन्द्रसूरि समुदाय के लेखक मुनिराज श्री रत्नसेन विजयजी म., प्रेम-भानु समुदाय के मुनिराज श्री प्रशान्तविजयजी म. एवं दिगम्बर जैनाचार्य श्री कुन्थुसागरजी म. आदि का नाम उल्लेखनीय हैं।
इन सभी आचार्यजी श्री, मुनि भगवन्तो, जिन्होंने शुभ मंगल कामना भेजी हैं, उन समस्त गुरु भगवन्तो के चरण कमल में हमारी तरफ से कोटि कोटि वन्दनाएं ।
इसके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भैरोसिंह शेखावत का लिखित संदेश जयपुर से आ पहुँचा हैं। ___ इस पुस्तक को लिखने में जिन जिन ट्रस्टी भाईओने, व्यवस्थापकोने, मुनिमजी, पूजारीजीने एवं और भी जिन महानुभावोंने सच्चे दिल से सहयोग दिया हैं, उन सबका अंतर दिल से आभार मानता हूँ।
इस पुस्तक के प्रकाशन के लिये हमे फोटो द्वारा, पुस्तको की बुकिंग द्वारा, विज्ञापन द्वारा आर्थिक सहयोग प्रदान किया हैं, उन सभी ट्रस्टी भाईयो का एवं व्यक्तिगत महानुभावो का अभिनन्दन किये बिना कैसे रह सकते हैं ?
अन्त में इस पुस्तक के वांचन में किसी भी सज्जन भाई को कोई त्रुटि नजर में आए तो उनको कर जोड मिच्छामि दुक्कडं देते हुए निवेदन करते हैं कि हमें पत्र द्वारा या फोन द्वारा अवश्य सूचित करे ताकि अगले प्रकाशन में सुधार किया जा सके।
जिनके उपर श्री लक्ष्मी एवं श्री सरस्वती दोनो देवी की कृपा है, ऐसे थाणा शहर के सुप्रसिद्ध देव-गुरु-धर्म के प्रेमी एवं अहिंसा प्रचार में सदैव तत्पर एवं 'शास्वत धर्म' (मासिक) के सम्पादकजी सदा हसमुख स्वभाव के धनी ऐसे परम आदरणीय मित्र श्री जे.के. संघवीने कदम कदम पर मेरी अनुमोदना की हैं, इस पुस्तक को लिखने एवं प्रकाशन के लिये भला उनको मैं कोटिश: धन्यवाद दिये बिना कैसे रह सकता हूँ।
अंत में मैं अपने परिवार के सभी सदस्य धर्मपत्नी श्रीमती फेन्सीबेन, सुपुत्र राजेश, गिरीश, अशोक, पुत्रवधू श्रीमती शर्मिला कुमारी, पौत्री ट्विंकलकुमारी तथा भाणेज कैलास-मूकेशने भी 'मुंबई के जैन मन्दिर' पुस्तक लिखने में सदैव मेरा हौशला बढाया हैं। सभी धन्यवाद के पात्र है। आपका ही श्री ज्ञान प्रचारक मंडल के संचालक एवं मुंबई के जैन मन्दिर (आवृत्ति दूसरी) के लेखक -
भंवरलाल एम. जैन-शिवगंज (वरली-मुंबई).
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