________________
532 :: मूकमाटी-मीमांसा ४. जम्बू स्वामी चरित्र-आचार्य श्री ज्ञानसागरजी महाराज के समाधिमरणोपरान्त हिन्दी में अन्तिम अनुबद्ध
केवली श्री जम्बूस्वामी का जीवन चरित्र आलेखन प्रारम्भ । किन्तु आधे लिखे जाने के उपरान्त प्रति गुम जाने से अपूर्ण एवं अप्राप्य। अंग्रेजी रचनाएँ - अजमेर, राजस्थान में लिखित अंग्रेजी कविताएँ--My Self (मुद्रित), My Saint, My Ego-(अनुपलब्ध) पंचास्तिकाय (हिन्दी पद्यानुवाद) - प्राकृत पंचास्तिकाय' ग्रन्थ का हिन्दी वसन्ततिलका' छन्द में पद्यानुवाद कुण्डलपुर, दमोह, मध्यप्रदेश से मदनगंज-किशनगढ़, अजमेर, राजस्थान के लिए २८-०४-१९७८ को विहार काल के दौरान अनुवाद प्रारम्भ । अद्यावधि अनुपलब्ध एवं अप्रकाशित । विज्जाणुवेक्खा (प्राकृत), १९७९ के थूबौन, गुना, मध्यप्रदेश के वर्षायोग काल में सृजित प्राकृत भाषा में निबद्ध 'विद्यानुप्रेक्षा' की ८ गाथाएँ ही उपलब्ध हो पाई हैं। भावनाशतकम् (तीर्थंकर ऐसे बने), [डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, मध्यप्रदेश के एम. ए.संस्कृत के पाठ्यक्रम में स्वीकृत रचना] रचयिता-आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज, संस्कृत टीकाकार-पं. डॉ. पन्नालाल साहित्याचार्य, प्रकाशक-मन्त्री, निर्ग्रन्थ साहित्य प्रकाशन समिति, प्राप्तिस्थान-जैन सूचना केन्द्र, १०-ए, चितपुर स्पर, कोलकाता-७०० ००७, पश्चिम बंगाल, प्रथमावृत्ति-१९७९, पृष्ठ-१२+६८, मूल्य-३ रुपए। गोमटेस-थुदि ('गोमटेश अष्टक' का आचार्य श्री विद्यासागरजी कृत पद्यानुवाद एवं डॉ. भागचन्द्र जैन 'भागेन्दु' द्वारा ‘गोमटेस थुदि' की संस्कृत छाया, हिन्दी अर्थ एवं प्रस्तावना आदि, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, मध्यप्रदेश के एम. ए. - संस्कृत पाठ्यक्रम में स्वीकृत कृति) प्रकाशक - श्री भागचन्द्र इटोरिया सार्वजनिक न्यास, स्टेशन रोड, दमोह-४७० ६६१, मध्यप्रदेश, द्वितीय संस्करण-१९८२, पृष्ठ-१२,
मूल्य-१.५० रुपए। १०. जिनेन्द्र स्तुति-आचार्य पात्रकेसरी के पात्रकेसरी-स्तोत्रम् संस्कृत ग्रन्थ का पद्यानुवाद ५० हिन्दी 'ज्ञानोदय'
छन्दों में दो दोहों सहित सिद्धक्षेत्र नैनागिरिजी, छतरपुर, मध्यप्रदेश में २४ जुलाई १९८२ को पूर्ण । अप्रकाशित । ज्ञान का विद्या-सागर (आचार्य श्री विद्यासागरजी द्वारा सृजित १२ ग्रन्थों के पद्यानुवादों का संकलन), प्रकाशक-श्रीमती रमा जैन, धर्मपत्नी लाला नेमचन्द जैन, पुरानागंज, सिकन्दराबाद, बुलन्दशहर, उत्तरप्रदेश, प्रथम संस्करण-१९८३, पृष्ठ -३८४ । बंगला कविताएँ - ईसरी, गिरिडीह, झारखण्ड के प्रवासकाल में सन् १९८३ में लिखित ३ बंगला कविताएँ। दोहा दोहन - विभिन्न ग्रन्थों के पद्यानुवादों के साथ अतिरिक्त लिखित १३७ दोहों का १९८४ में प्रकाशित संग्रह का रजकण प्रकाशन, आनन्द लॉज, टीकमगढ़, मध्यप्रदेश से १९८६ में प्रकाशित द्वितीय संस्करण, पृष्ठ-२६, मूल्य-२ रुपए। विद्या वाणी (खुरई में १९८५ में प्रदत्त प्रवचन एवं अन्य प्रवचन संग्रह), संकलक- विनोदकुमार जैन, पत्रकार साहित्य सचिव एवं कोषाध्यक्ष-श्री वीर सेवा दल, मंगल धाम, खुरई, सागर, मध्यप्रदेश, प्रथमावृत्ति-१९८६,
पृष्ठ-४२, मूल्य-५ रुपए। १५. चरण आचरण की ओर (ईसरी, झारखण्ड में प्रदत्त उद्बोधन), प्रकाशक- श्रमण भारती, मैनपुरी, प्राप्तिस्थान
- डॉ. सुशील कुमार जैन, जैन क्लीनिक, सिटी पोस्ट आफिस के सामने, मैनपुरी-२०५ ००१, उत्तरप्रदेश,