Book Title: Mudra Prayog Ek Anusandhan Sanskriti Ke Aalok Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 147
________________ जैन एवं इतर परम्परा में उपलब्ध मुद्राओं की सूची ...81 पञ्चमी सङ्घमित्याहु, महामुद्रापि सा भवेत्। षष्ठी तु भूतशमनी, प्रत्येकाहमुद्भवा।। सप्तमी बोधिसत्त्वानां, दशमी तु प्रवेशिनाम्। मुद्रा पद्ममालेति, महामुद्रां तु तां विदुः॥ वरदा सर्वमुद्राणां, मन्त्राणां च सलौकिकाम्। महाप्रभावां महाश्रेष्ठां, ज्येष्ठां त्रैलोक्यपूजिताम्।। अष्टमी सम्प्रयुञ्जीत, मुद्रा त्रिभुवनालयाम्। मुद्राणां कथिता संख्या, अस्मिं तन्त्रे महोद्भवा।। शतमेक तथा चाष्टं, संख्यमुद्रेषु कल्पिता। एतत्प्रमाणं तु सम्बुद्धैः, पुरा गीतं महीतले। निर्नष्टे शासने शास्तुः, प्रचरिष्यति देहिनाम्। आदौ तावत् करे नयस्त, मुभयानां करे स्थितौ।। अन्योन्याङ्गुलिमावेष्ट्य, सन्मिश्रां च पुनस्ततः। उभौ करौ समायुक्तौ, पञ्चचलासुचिह्मितौ। मंजूश्री मूलकल्प, 35 वाँ पटल 63. (क) उद्धृत- तंत्र, क्रिया और योगविद्या, स्वामी सत्यानन्द सरस्वती (ख) सम्पूर्ण योग विद्या, ले. राजीव जैन त्रिलोक 64. (क) मुद्रा विज्ञान, नीलम संघवी (ख) हस्त मुद्रा प्रयोग और परिणाम, मुनि किशनलाल (ग) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, केशव देव

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