Book Title: Mrutyu ki Dastak Author(s): Baidyanath Saraswati, Ramlakhan Maurya Publisher: D K Printworld Pvt Ltd, Nirmalkuar Bose Samarak Pratishthan View full book textPage 2
________________ RA जीवात्मा के लिए सबसे बड़ा सत्य है मृत्यु / जीवन में केवल मृत्यु ही अवश्यंभावी है क्योंकि यही एक स्थिति है जो जोगी और भोगी, राजा और रंक, शासक और शासित - किसी भी वर्ग में भेदभाव नहीं रखती। अलग-अलग धर्मों और दर्शनों ने अपने ही दृष्टिकोण से इसकी व्याख्या की है। एन. के. बोस मेमोरियल फाउण्डेशन, वाराणसी, द्वारा आयोजित संगोष्ठी में प्रस्तुत किये गये विचारों को एकत्रित करके श्री बैद्यनाथ सरस्वती एवं श्री रामलखन मौर्य ने पाठकों के समक्ष मृत्यु के स्वरूप को विस्तृत रूप में रखने का प्रयास किया है। “मृत्यु की दस्तक" में विभिन्न वर्गों के प्रबुद्ध जनों ने मृत्यु की अवधारणा और उसके धार्मिक एवं दार्शनिक अभिप्राय का अवलोकन किया है। केवल हिन्दू मत ही नहीं, ईसाई, मुस्लिम, जैन, बौद्ध और सिख धर्मों में किस दृष्टि से मृत्यु को देखा गया है - क्या वह अल्प-विराम है या पूर्ण-विराम? इन सब विषयों पर विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किये हैं। मृत्यु के पश्चात् हर धर्म में विस्तृत कर्मकाण्ड होते हैं। यहाँ मुख्यतः हिन्दू धर्म में मृत्योपरान्त क्रमागत श्राद्ध कर्मों, उनकी विधि तथा कर्त्ता की योग्यता पर भी प्रकाश डाला गया है। ___ हर युग में हर संस्कृति ने मृत्यु-सम्बन्धी अनेक प्रकार के प्रश्नों को उठाया है। जहाँ जीव-विज्ञान और औषधि-विज्ञान ने इतनी उन्नत्ति कर ली है कि लुप्त जीव भी “क्लोनिंग" से पुनर्जीवित किया जा सके, वहाँ मृत्यु का सामाजिक और वास्तविक अभिप्राय क्या रह जाएगा? ऐसे और अन्य सवालों के उत्तर पाने के लिए यह पुस्तक सभी वर्गों द्वारा पठनीय है।Page Navigation
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