Book Title: Moksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Author(s): Ram Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 10
________________ आज हमें इस ग्रन्थराजकी हिंदी में द्वितीयावृत्ति प्रस्तुत करते हुवे बहुत ही आनन्द हो रहा है । तत्त्ररसिक समाजने इस ग्रन्थराजको इतना ज्यादा अपनाया कि प्रथम आवृत्ति की १००० प्रति ६ महिने में ही सम्पूर्ण हो गई, उस पर भी समाजकी बहुत ज्यादा मांग बनी रही लेकिन कई कारणों से तथा पूज्य कानजी स्वामीजीके संघसहित तीर्थराज श्री सम्मेद शिखर की यात्रा जाने के कारण यह दूसरी आवृत्ति इतनी देरी से प्रकाशित हो सकीं है, इस आवृत्ति में कुछ आवश्यक संशोधन भी किये गये हैं तथा नवीन उद्धरण आदि भी और बढाये गये हैं तथा अशुद्धियाँ भी बहुत ही कम रह गई हैं। इस प्रकार दूसरी आवृत्ति पहली आवृत्ति से भी विशेषता रखती है अतः तत्र रुचिक समाजसे निवेदन है कि इस ग्रन्थको भले प्रकार अध्ययन करके तत्त्वज्ञान की प्राप्ति पूर्वक आत्मलाभ करके जीवन सफल करें । - नेमीचन्द पाटनी अपाढ वदी १ वीर नि० सं० २४८४ ५ }

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