Book Title: Manipati Rajarshi Charitam
Author(s): Jambukavi, Bhagwandas Pt
Publisher: Hemchandra Granthmala

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Page 157
________________ J तेनुं शरीर मोटु थयुं छे. तेमांनी सोळ कथाओना नाम चरित्रने अन्ते नीचे मुजब छ "हस्ती हारः सिंहो मेतार्यः मुकुमारिका, भद्रोक्षा गृहकोकिलः सचिवा बटुकोऽपि च। नागदत्तो वर्डकिश्च चारभट्यथ गोपकः, सिंही शीतादितहरिः काष्ठर्षिः षोडशो मतः॥" आमांनी केटलीएक कथाओ घणी रसिक छे. बीजा प्राकृत चरित्रमा वर्णन अने केटलीपक कथाओ नथी, तो पण सोळकथाओ संक्षिप्तरूपमा छे. आ चरित्रमा भच्चंकारी भट्टानी कथा विशेष छे, जे प्रथमना रित्रमा नथी. तेनो आ चरित्र साथे विशेष संवन्ध पण नथी. त्रीजा चरित्रमा बीजा प्राकृतचरित्रनो अनुवादमात्र होवाथी कांड पण विशेषता नथी. चोथा चरित्रमा घणी नवी कथाओ उमेराइ छे, अने पूर्वनी सोळ कथामां पण कोइ कोइ स्थळे नाम तथा कयाना स्वरूपमा फेरफार थयेलो छे. आ चरित्रनी रचना सरळ छे. परन्तु तेमां प्रोढता आधी शकी नथी. आ कथानुं नाम मणिपतिचरित्र अथवा मुनिपतिचरित्र कहेवाय छे. परन्तु जम्बूकषिनी कृतिमा क्यांह पण 'मुनिपति' पQ नाम मळतुं नथी. त्यार पछीना हरिभद्रसूरिविरचित प्राकृत चरित्रमा पण 'मणिपति' नाम मळे छे. पण तेनी कोइ कोइ प्रतमा 'मुनिपति' एवं नाम छे. हुं धारु छु के मणिपतिनुं प्राकृत 'मणिवा' थाय छे. तेना उपरथी 'मुणिवई' थयु अने पछीथी मुनिपति रूप प्रचलित थयु होय. ते पटले सुधी नगरीनु 'मुनिपतिका' के 'मुनिपतिक नगरं पवु रूप प्रसिद्धिमां आव्यु होय. आ सर्व नीचेना ताराओथी स्पष्ट थशे. (1) श्रीजम्बुकविषिरचित चरित्रमानो पाठ xx यस्मान्मणिपतेराज्ञश्चरितं वर्णयाम्यतः / प.१॥१८॥x + श्रीमणिपतिका नाम्ना नगरीक्षलक्षणा प. 2 // 31 // x + AIERSAR

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