Book Title: Manipati Rajarshi Charitam
Author(s): Jambukavi, Bhagwandas Pt
Publisher: Hemchandra Granthmala

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Page 155
________________ *ble सका मा चरित्रनी भिन्न भिन्न आचार्योप रचना करेली छे ते नीचे मुजब(१) श्रीजम्बूकषिविरचित गद्यपद्यमय आ प्रस्तुत चरित्र. (2) संबत् ११७२नी सालमां हरिभद्रसूरिप प्राकृत भाषामा संक्षिप्त पद्यमय रचना करी छे. तेने अन्ते प्रशस्तिमा लायुछे के "नयण-मुणि-रुद्दसंखे विक्कमसंवच्छरंमि वञ्चन्ते / भहवयपश्चमिए समत्थिरं चरित्तमिणमोति // " मा चरित्रनी गाथा 644 छे. अने श्लोकप्रमाण 805 के. (3) आ चरित्र हरिभद्रसूरिना प्राकृत चरित्र उपरथो संस्कृत गच रचमामा बयेलु के. तेमां प्राकृतचरित्रनो अनुपाद मात्र छे. चरित्रने अन्ते प्रशस्ति के आचार्य नाम ठाम जणातुं नथी. पूर्व चरित्रनी पेठे आ चरित्र पण संक्षिप्त छे. (4) आ चरित्र संस्कृत गचमा छे. तेने जामनगरनिवासी पं० हीरालाल हंसराजे मुद्रित करेलु छे. तेमां प्रासंगिक कथामो विशेष दाखल करेली होषाथी तेर्नु प्रमाण पूर्वोक बन्ने मरित्रथी मोटुं छे. मन्थने अन्ते प्रशस्ति के कर्तार्नु नाम निशान नथी. आ चरित्रने अन्ते लखेल छ के-“आ प्रयके जेनी मूळ भाषा अस्थव्यस्थ होषाची तेमां बनते प्रयासे सुधारो पधारो करी श्रीजामनगरनिवासी पडित हीरालाल हंसराजे स्वपरना श्रेय माटे पोताना छापखानामां कापी प्रसिर कयों के." आ सर्व चरित्रोमा जम्बूकषिनी कृति प्राचीन सुन्दर अने आकर्षक छ, तेमनी भाषा सरल स्पष्टार्थ युक्त अने अलङ्कार विभूषित छे. शहआतमां सज्मस्तुति, दुर्जननिवा, ग्रीष्मादिऋतु, सायंकाल नगरी आदिनु भाकर्षक वर्णन छे. कर्ता अलंकारप्रिय छे छतां तेमनी भाषा प्रसाद गुणवाळी छे. आ चरित्रनो मूळ कथा घणी संक्षिप्त छे, पण वर्णन अने प्रासंगिक कथाओथी 1. विक्रम संवत् ११७२नी सालमा भादरषा मासनी पांचमे आ चरित्र पूर्ण कर्यु. See less

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