Book Title: Man Kahta Hai Nari ko Poojo
Author(s): Nirbhay Hathrasi
Publisher: Z_Sadhviratna_Pushpvati_Abhinandan_Granth_012024.pdf

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________________ साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ 99998 O O O 10 O DO O 888888888 " पन्ना दाई" पुत्र की पीड़ा का हर पन्ना परखा देगी, माँ की ममता सीना चीरके चाहे जहाँ बता देगी । पूत कपूत भले हो जाये, मात कुमात नहीं होती - यदि विश्वास न हो तो 'दिल्ली की इन्द्रानी' समझा देगी । नारी ने कितने कष्ट सहे हैं पूछो किसी महतारी से - मन कहता है नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से । इष्ट की प्राप्ति-तपस्या पूछो पार्वती - कल्यानो से, प्रियतम कैसे मिलते हैं पूछो मीरा प्रेम दिवानी से । जन्म-मरण का कोई भी दर्द हो नारी बतला सकती हैप्रिय-बिछुड़न कैसा होता है, पूछो राधा रानी से । पति - सामीप्य कठिन है कितना, पूछो जनक दुलारी सेमन कहता है नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से । O कारक है तो क्या कर सकती है पूछो काम की कारा से, तारक है तो पूछो किसी भी अहल्या, द्रोपदी, तारा से । धारक है तो कितनी क्षमता है, धरती के धीरज से पूछोउद्धारक है तो क्या है, यह पूछो "गंगा धारा" से । संहारक है क्या है ? पूछो भोले भण्डारी सेमन कहता है नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से । संसारी माया - सरमाया को सब माया फैलाते हैं । संन्यासी भी भक्ति भजन से माया मुक्त बनाते हैं । मायावी की माया को माया से समझ न पाते हैंमाया माया की पाकिट काटे, उसको बुरा बताते हैं ? सारी दुनिया काम चलाती है, जब पाकिटमारी सेमन कहता है नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से । O संग कुसंग रहे तो सारे नर्क स्वयं नर में भर दें, संग अगर संत्संग बने तो सब भव भय पीड़ा हर दे । सावधान रहना माया से ओ मेरे मन संन्यासी'पर्स' ने इतना कष्ट दिया, 'स्पर्श' न जाने क्या कर दे । बीमारों की सेवा करिये, दूर रहो बीमारी से - मन कहता है नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से । 983०० D U मन कहता है नारी को पूजो... : निर्भय हाथरसी | २६६ www.

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