Book Title: Man Kahta Hai Nari ko Poojo
Author(s): Nirbhay Hathrasi
Publisher: Z_Sadhviratna_Pushpvati_Abhinandan_Granth_012024.pdf
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ 33333333 मन कहता है नारी को पूजो.... - निर्भय हाथरसी बाबा तुलसी की चौपाई, मन-मानस की सुनी सुनाई, "ढोल - गँवार-शूद्र - पशु-नारी" यह सब ताड़न के अधिकारी । नारी को ताड़ना दिलाई"नारि नरक की खान" बताई, नारी से बचकर रहना बाबा, चाहे जो दुख सहना बाबा | साधु-सन्त सभी कहते हैं, बचकर रहना नारी सेमन कहता है, नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से । नारी के गर्भ से जन्म लिया है हर जीवित संसारी ने, नारी को सम्मान दिया है, अजन्मे ने, अवतारी ने । 'नारी' जब तक चलती है तब तक नर-नारी सुख - पाते हैंजीवन भर जीवित रक्खा है, हर प्राणी को 'नारी' ने । नारी छूटी, टूट गये सब रिश्ते दुनियादारी से ---- मन कहता है नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से । 300000 २६० | छठा खण्ड : नारी समाज के विकास में जैन साध्वियों का योगदान 98803388 www.jainelibrar Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ 99998 O O O 10 O DO O 888888888 " पन्ना दाई" पुत्र की पीड़ा का हर पन्ना परखा देगी, माँ की ममता सीना चीरके चाहे जहाँ बता देगी । पूत कपूत भले हो जाये, मात कुमात नहीं होती - यदि विश्वास न हो तो 'दिल्ली की इन्द्रानी' समझा देगी । नारी ने कितने कष्ट सहे हैं पूछो किसी महतारी से - मन कहता है नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से । इष्ट की प्राप्ति-तपस्या पूछो पार्वती - कल्यानो से, प्रियतम कैसे मिलते हैं पूछो मीरा प्रेम दिवानी से । जन्म-मरण का कोई भी दर्द हो नारी बतला सकती हैप्रिय-बिछुड़न कैसा होता है, पूछो राधा रानी से । पति - सामीप्य कठिन है कितना, पूछो जनक दुलारी सेमन कहता है नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से । O कारक है तो क्या कर सकती है पूछो काम की कारा से, तारक है तो पूछो किसी भी अहल्या, द्रोपदी, तारा से । धारक है तो कितनी क्षमता है, धरती के धीरज से पूछोउद्धारक है तो क्या है, यह पूछो "गंगा धारा" से । संहारक है क्या है ? पूछो भोले भण्डारी सेमन कहता है नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से । संसारी माया - सरमाया को सब माया फैलाते हैं । संन्यासी भी भक्ति भजन से माया मुक्त बनाते हैं । मायावी की माया को माया से समझ न पाते हैंमाया माया की पाकिट काटे, उसको बुरा बताते हैं ? सारी दुनिया काम चलाती है, जब पाकिटमारी सेमन कहता है नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से । O संग कुसंग रहे तो सारे नर्क स्वयं नर में भर दें, संग अगर संत्संग बने तो सब भव भय पीड़ा हर दे । सावधान रहना माया से ओ मेरे मन संन्यासी'पर्स' ने इतना कष्ट दिया, 'स्पर्श' न जाने क्या कर दे । बीमारों की सेवा करिये, दूर रहो बीमारी से - मन कहता है नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से । 983०० D U मन कहता है नारी को पूजो... : निर्भय हाथरसी | २६६ www. Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ i n .......... . ... .... .... ...........iiiiiiii RALLA साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ / mm "लक्ष्मी-नारायण' में पहिले “लक्ष्मी" को स्थान मिला, "सीताराम" में "राधेश्याम' में, नारी को ही मान मिला। "शंकर-पार्वती" में नारी पीछे है योग के कारण हीफिर भी गंगा शीश चढ़ी, जब योगी का वरदान मिला। पावनता हो तो नारी ऊँची है बाघम्बर-धारी सेमन कहता है नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से। BAHHHHHHHHHH P iiiiiiiiiiiiHHHHHHHHHHHIR मृग तृष्णा में मत दौड़ो, माना नारी मृग-नैनी है, तन से मस्त मयूरी है, चाहे मन से पिक बैनी है। पुरुष प्रकृति से विमुख रहा तो कृति-आकृति कुछ भी न बनी नारि नरक की खान नहीं है, नारी स्वर्ग नसैनी है / किसी ब्रह्मचारी से मत पूछो, पूछो संसारी सेमन कहता है नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से / HALALLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLL.DIRainbo. HHHHHHHHHHHHHHHI (660 यदि मन नहीं अनारी हो तो नारी के साथ जरूर रहो, ताकि पूर्ति पूरक दोनों से मिल करके भरपूर रहो। बहने वाले पार उतर गये, तैरने वाले डूब गयेसुर-सरिता में बहते जाओ, अन्ध कूप से दूर रहो। काम से 'निर्भय' रह सकते हो, बचकर काम-कटारी सेमन कहता है नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से / 980e390 .9 . ... 962 / छठा खण्ड : नारी समाज के विकास में जैन साध्वियों का योगदान www.jainelibrars