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साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ
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मन कहता है नारी को पूजो....
- निर्भय हाथरसी
बाबा तुलसी की चौपाई, मन-मानस की सुनी सुनाई, "ढोल - गँवार-शूद्र - पशु-नारी" यह सब ताड़न के अधिकारी । नारी को ताड़ना दिलाई"नारि नरक की खान" बताई, नारी से बचकर रहना बाबा, चाहे जो दुख सहना बाबा | साधु-सन्त सभी कहते हैं, बचकर रहना नारी सेमन कहता है, नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से ।
नारी के गर्भ से जन्म लिया है हर जीवित संसारी ने, नारी को सम्मान दिया है, अजन्मे ने, अवतारी ने । 'नारी' जब तक चलती है तब तक नर-नारी सुख - पाते हैंजीवन भर जीवित रक्खा है, हर प्राणी को 'नारी' ने । नारी छूटी, टूट गये सब रिश्ते दुनियादारी से ---- मन कहता है नारी को पूजो, बचकर रहो अनारी से । 300000
२६० | छठा खण्ड : नारी समाज के विकास में जैन साध्वियों का योगदान
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