Book Title: Main Hu Apne Bhagya ka Nirmata
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 9
________________ अनुक्रम १. जीवन क्या है ? २. जीवन का उद्देश्य. ३. स्थूल शरीर का आध्यात्मिक महत्त्व ४. विद्युत् का चमत्कार ५. प्राणशक्ति का आध्यात्मिकीकरण ६. चेतना का रूपान्तरण : १ ७. चेतना का रूपान्तरण : २ ८. अंधकार से प्रकाश की ओर ९. साधना किसलिए? १०. मन की शान्ति ११. कुंडलिनी-जागरण : अवबोध और प्रक्रिया १२. दर्शन वही, जो जिया जा सके १३. बौद्धिक ज्ञान जीवन-विज्ञान बने १४. तत्त्वज्ञान या जीवन-दर्शन ? १५. वर्तमान युग में योग की आवश्यकता १६. सत्यनिष्ठा १७. मैं हूं अपने भाग्य का निर्माता १८. धर्म और विज्ञान १९. व्यक्ति और समाज २०. सम्प्रदाय और धर्म २१. नैतिकता : क्या ? कैसे ? २२. शक्ति-संवर्धन का माध्यम : अणुव्रत २३. व्यक्ति और विश्व-शान्ति १०१ ११४ १२६ १३१ १३८ १४५ १५७ १६६ १७० १८० १८९ २०२ २१३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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