Book Title: Main Hu Apne Bhagya ka Nirmata
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 15
________________ जीवन क्या है ? /५ एक सैनिक था । वह रिटायर हो गया । वह गांव में व्यापार करने लगा। एक दिन नगर में आया, बाजार में गया, दूध खरीदा, मिठाइयां खरीदी और एक बड़ा-सा बर्तन कंधे पर रखकर गांव की ओर चला । बाजार में एक मसखरा बैठा था । उसने देखा, मन में भावना आई कि महोदय जा रहे हैं, आज कोई करामात दिखा दूं। अपने मित्रों से कहा—देखो, चमत्कार दिखाता हूं। जहां चमत्कार की बात आती है, सबका ध्यान टिक जाता है । दुनिया में एक ऐसा झूठा प्रलोभन है चमत्कार कि इसका नाम आते ही सब चौकन्ने हो जाते हैं | सबका ध्यान टिक गया । उन्होंने पूछा—क्या करामात दिखाओगे ? उसने कहा—'सिर पर जो घड़ा है, उसे मैं बिना हाथ लगाये जमीन पर गिरा दूंगा ।' सब आश्चर्य से उसकी ओर देखने लगे । मसखरा एक ओर छिपकर खड़ा हो गया । ज्योंही वह सैनिक आया, मसखरे ने जोर से कहा- 'अटेन्शन !' यह शब्द सुनते ही सैनिक के जो हाथ घड़े को थामे हुए थे, वे अटेन्शन की मुद्रा में नीचे आ गए, तत्काल घड़ा धड़ाम से नीचे गिरा और फूट गया। ऐसा क्यों हुआ? सैनिक को ऐसा करने की जरूरत भी नहीं थी, किन्तु अभ्यास करते-करते एक संस्कार ऐसा जम गया कि जहां भी सावधान (अटेन्शन) शब्द सुनता, सैनिक सावधान की मुद्रा में खड़ा हो जाता | हमारे स्वभाव के पीछे कई कारण होते हैं, कुछ अर्जित आदतें होती हैं और कुछ पुरानी आदतें होती हैं । कुछ आदतों को हम पीछे से लेकर आते हैं और कुछ आदतों को सामाजिक परिस्थितियों से निष्पन्न करते हैं । एक ही कारण नहीं होता, किन्तु बहुत बड़ा कारण होता है जैविक रसायन । जो व्यक्ति इसके प्रति सावधान नहीं होता कि किस प्रकार के रसायन का निर्माण हो रहा है, वह अपनी आदतों को भी बदलने में समर्थ नहीं होता । कोई आदमी शराब पीता है । कोई आदमी दूसरे प्रकार का नशा करता है । कुछ लोग ऐसे हो गये कि उन्हें मर्फिया का इंजेक्शन लेना ही पड़ता है, लिये बिना छुटकारा नहीं । कुछ आदमी ऐसे होते हैं कि दिन में बाजार में बैठकर इधर-उधर की बातें न करें तो उनका खाया हुआ हज्म ही नहीं होता । यह सब क्यों होता है ? क्या वे लोग यह नहीं जानते कि ऐसा करना बुरा है ? क्या मदिरा पीने वाला नहीं जानता कि शराब पीना बुरा है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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