Book Title: Maheke Ab Manav Man
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 187
________________ शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य शिक्षा क्यों? विद्याथियो ! क्या आपने इस बिन्दु पर कभी गंभीरतापूर्वक चिंतन-मनन किया कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य क्या है ? यदि आपने पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त कर लेना, उपाधियां हासिल करना ही शिक्षा का उद्देश्य समझा है तो आप निरी भ्रांति में हैं। आप पूछेगे, फिर शिक्षा का और क्या उद्देश्य हो सकता है ? मेरी दृष्टि में शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य है--जीवन का निर्माण । यदि वर्षों की शिक्षा के पश्चात् भी इस लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती है तो दूसरी-दूसरी पचास प्राप्तियों के बावजूद भी उसकी सार्थकता प्रगट नहीं होती। जीवन-निर्माण का स्वरूप पूछा जा सकता सकता है, जीवन के निर्माण से क्या तात्पर्य है ? जीवन-निर्माण से मेरा तात्पर्य यह है कि जीवन में विद्या के साथ विनय, विवेक, चारित्र आदि सद्गुणों का साहचर्य हो। निरे रूखे तर्कवाद में पड़कर श्रेयस् का साक्षात्कार नहीं किया जा सकता। सत् के प्रति आपके मन में अटूट श्रद्धा का भाव होना आवश्यक है। ख्याल रहे, श्रद्धा आत्म-विकास का पुष्ट आधार है। __ जीवन-निर्माण के लिए विद्या का संयम से संयुत होना अपेक्षित है। आज की शिक्षा-पद्धति इस ओर आंखें मूंदे हुए है। इसी का यह दुष्परिणाम है कि छात्र-जगत् में उछृखलता और आचारहीनता व्यापक रूप में परिव्याप्त हो रही है । सचमुच इसके कारण शिक्षा-क्षेत्र तरह-तरह के अवांछनीय संघर्ष का अड्डा बन रहा है। यह कोई एक-दो शिक्षणपीठों की बात नहीं है, बल्कि व्यापक रूप में यह स्थिति निर्मित हो रही है। मैं ऐसा नहीं कहता कि संघर्ष की स्थिति के निर्माण में एकान्ततः विद्यार्थियों का ही दोष होता है । अध्यापक और व्यवस्थापक भी उसमें कारण हो सकते हैं। भले कोई भी कारण क्यों न हो, पर इतना तो सुनिश्चित है कि शिक्षण संस्थाओं में ऐसी स्थिति भारत की संस्कृति एवं गौरव के अनुकूल नहीं है। विद्यार्थी, अध्यापक और व्यवस्थापक शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य १७१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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