Book Title: Maheke Ab Manav Man
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 218
________________ ० विद्यार्थी-अवस्था जीवन निर्माण का पहला सोपान है। (११६) ० ब्रह्मचर्य आत्म-शुद्धि एवं जीवन की पवित्रता का अन्यतम साधन है। (११८) ० आत्मस्वरूप में संस्थित एवं संचरण करना ब्रह्मचर्य है ।(११८) • सत्य जीवन का परम आदर्श है । (१२३) ० क्षमा मैत्री-भावना को पनपाने का अनन्य साधन है । (१२७) ० आत्म-तोष का एकमात्र मार्ग आत्म-संयम है। (१३७) ० देश की अन्तरात्मा का निर्माण राष्ट्रीय चरित्र और संयम से होता है। (१३८) ० समाज की प्रकृति अनुकरणप्रधान होती है। जैसा बड़े लोग करते हैं, उसका अनुकरण सामान्य लोग करने लगते हैं। (१३८) • हमारा उद्धार करने के लिए कोई भगवान या परमात्मा यहां नहीं आयेगा, अपितु हमें स्वयं ही परमात्मरूप धारण करना है। (१३८) ० अपनी जिम्मेदारी से बेखबर होना आज का सबसे बड़ा खतरा है। (१३८) ० 'व्रत' भारतीय संस्कृति की आत्मा है। (१४०) ० जो अपने-आपको जीत लेता है, वह संसार पर काबू पा लेता है। (१४०) ० व्रत आत्म-विजय का मार्ग है । (१४०) ० अध्यात्मवाद की साधना व जीवन के चरम उत्कर्ष में जिनकी गहरी निष्ठा और तीव्र आकर्षण है, वे भौतिक सुख-सुविधाओं की कब आकांक्षा करते हैं। (१४१) ० सुसंस्कारी और जागृत नारी समाज के लिए एक वरदान है। ० आन व संकल्प के धनी मनस्वी पुरुषों को हजार प्रतिकूलताएं भी आगे बढ़ने से कब रोक पाती हैं । वे चट्टानों को चीर कर भी अपनी राह बना लेते हैं, आगे बढ़ जाते हैं । (१४५) ० हिंसा जीवन की किसी भी समस्या का समुचित समाधान नहीं है । (१४५) • अपरिग्रह के बिना अहिंसा फलित नहीं हो सकती। (१४६) ० महावीर की जय बोलने का उतना महत्व नहीं है, जितना उनके आदर्शों के अनुरूप जीवन को ढालने का है । (१४७) २०२ मानव-मन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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