Book Title: Mahavir ka Mukhtsar Jivan Author(s): Sahir Ludhiyanvi Publisher: Sahir Ludhiyanvi View full book textPage 4
________________ सेहरा में गुल खिलाए, वो रहमत के आप ने। ऐसे सबक पढ़ाए, मोहब्बत के आपने, जोहर दिखाए ऐसे, सखावत के आपने। 12 नादार जो थे आप ने जरदार कर दिए, बेजार जो थे आप ने सरसार कर दिए। गुजरा जो एक साल तो, सन्यास ले लिया, दिल में जो अहद कर लिया, पूरा उसे किया। घर बार तख्तो-ताज, हुकूमत को तज दिया, मयखाना-अलसत का, इक जाम यूं पिया। बे आबो-दाना बारह बरस, तप किया कमाल, पाकीजगी रूह का ये, जप किया कमाल। 13 फिर जैन मत का हाथ में, झण्डा उठा लिया, पीछे हटा न पांओं जो, आगे बढ़ा दिया। अब उपदेश दे के औरों को, अपना बना लिया, लाखों गुनहगार थे, जिनको बचा लिया। 14 पैगाम शान्ति का, सुनाया था आप ने, अमृत जहां भर को, पिलाया था आपने। लाखों मुसीबतें सहीं, उफ तक मगर न की, जोरो जफा की लव से, शिकायत नहीं हुई। चोटी से कोह की भी, गिरे तो खुशी खुशी सौ जुल्म का जवाब था, बस एक शान्ति। 15 कानों में कील गड गए, खू हो गया रवां, लेकिन खुली न आपकी, इक बार भी जुबां। हर बात से था आपकी, इक नूर आशकार, लाखों बशर थे आपके, दर्शन को बेकरार। उपदेश सुन के आप के, पैरो हुए हजार,Page Navigation
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