Book Title: Mahavir ka Mukhtsar Jivan
Author(s): Sahir Ludhiyanvi
Publisher: Sahir Ludhiyanvi

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Page 1
________________ भगवान् महावीर का मुखतसर जीवन (साहिर लुधियाणवी) महावीर जयंती 1946 (प्रस्तुत कविता प्रसिद्ध फिल्मी शायर साहिर लुधियाणवी ने 1946 में महावीर जयंती के अवसर पर आचार्य श्री आत्मा राम जी महाराज के सान्निध्य में पढ़ी थी। यह कविता श्री कांशी राम चावला रचित भगवान महावीर उर्दू पुस्तक से ली गई है और इस में शायर ने अपनी राष्ट्र भक्ति और प्रभु महावीर भक्ति का वशिष्ट परिचय दिया है। यह शायर की भगवान महावीर के प्रति लिखी एक मात्र कविता है जो वर्तमान में अनोपलब्ध है।) लिपियांतर : पुरुषोत्तम जैन, रविन्द्र जैन, - मालेरकोटला भगवान पार्श्वनाथ, जब निर्वाण हो गए, बे खौफ, बेहया, सभी इंसान हो गए। दाना बने हुए थे, नादान हो गए, इन्सानियत को छोड़ कर, हैवान हो गए। 1 सूरज हुआ गरूव, अहिंसा के नाम का, बन्दा रहा न कोई भी, दुनिया में काम का, बन्दे जो नेक नाम थे, बदनाम हो गए, गफलत में सो के, गाफिले अंजाम हो गए। दुनिया में जोर जुल्म व सितम आम हो गए, इक दासतां से धर्म के अहकाम हो गए। 2 यूं बेजुबां का खून हुआ, दहर पर रखां, फरियाद व अश्क व आह से कांप उठा आसमां, दुनिया रही जो वक्फे अल्म, अढाई सौ बरस, जारी रहे जो जुल्मों सितम, अढाई सौ बरस।

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