Book Title: Mahavir Chariyam
Author(s): Nayvardhanvijay
Publisher: Ahmedabad Paldi Merchant Society Jain Sangh
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श्रीगुणचंद
महावीरच०
119811
आश्चर्यदशकं आनन्दश्रवणः गोशालक
कृत उपसर्गः सर्वानुभूतिः सहस्रारे सुनक्षत्रोऽच्यु
२७९
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| सुदंजीवकर्षकस्य दीक्षा तन्मोचनं च २९९ सामायिके कामदेवकथा तामलिस्यादिषु विहारः प्रसन्नचन्द्रादीदेशावकाशिके सागरदत्तकथा नां बोधश्च
पोषधोपवासे जिनदासकथा
गोशालकदाहः अयंपुत्रः शिष्येभ्यो निईरणादेशः सप्तम दिने सम्यक्त्वं आदेशः २८२ | सिंहानीतौषधेन नीरोगत्वं श्रीवीरस्य २८३ | गोशालकस्य भवाः
राजगृहे धर्मदेशना मेघकुमारस्य दीक्षा भग्नमनस्कत्वं पूर्वभवो नन्दिषेणस्य दीक्षा, देवेन कृतो निषेधः जिनेनापि, वेश्यागृहे स्थानं दशकदशबोधः दीक्षा देवत्वं
राजगृहे समवसरणं प्रथमाणुनते हरिवर्मकथा द्वितीयाणुत्रते सत्यश्रेष्ठिकथा तृतीयाणुत्रते वसुदत्तकथा २८६ तुर्याणुत्र सुरेन्द्रदत्तकथा ( शुभंकर
कथा )
२८९ पंचमाणुत्रते वासवदत्तकथा | दिखते जिनपालितकथा भोगोपभोगमाने रविपालकथा २९० अनर्थदण्डविरतौ कोरंटककथा
२९१
२९२
२९८
३००
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३१२
अतिथिसंविभागे साधुरक्षितकथा सेडुक द्विजवृत्तं
गागलिप्रब्रज्या दि
अष्टापदयात्रा तापसानां बोधादि मिथिलायां दुष्षमास्वरूपोक्तिः
३१४
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३२२]
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३३४
आयुर्वर्धने विज्ञप्तिः
| निर्वाणमहः गौतम केवलं
परम्परा अन्धकारकाणामितिहा च
इति श्रीमहावीरचरित्रस्य विषयानुक्रमः
३३४
३३५ ३३७
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३३९
३४१
विषयानु
क्रमः.
| ।। १४ ।।

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