Book Title: Mahavir Chariyam
Author(s): Nayvardhanvijay
Publisher: Ahmedabad Paldi Merchant Society Jain Sangh

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रीगुणचंद महावीरच ।।१३।। ७ प्रस्तावः वैशाल्यां शंखसत्कारः गंडकिकायां नाविकोपसर्गः ऋतुषट्स्याविकारिता वाणिज्यमा आनन्दगाथापतिः अब धिमान् श्रावस्त्यां वर्षारात्रः (१०) सानुषष्टि के प्रतिमाः दृढभूमौ पेढाले संगमोपसर्गाः, संगमधर्मानं आरंभिकायां विद्युत्कुमारेन्द्रस्तुतिः तां त्रिकायां हरिस्तहस्तुतिः श्रावस्त्यां स्कन्दप्रतिमासत्कारः कौशांच्यां चन्द्रसूर्यावतारः वाराणस्यामिन्द्रपूजा रा २१९ २१९ २२६ २३१ www.kobatirth.org जगृहे ईशानाच मिथिलायां जनकस्तुतिः धरणेन्द्रवन्दना राजगृहे वर्षारात्रः (११) भूतानन्दस्तुतिः जीर्णश्रेष्ठभावना केवलिदेशना चमरेन्द्रोलातः सुसुमारे गणधराणां प्रतिबोध: दीक्षा' चन्दनाया दीक्षा संघस्थापना ऋषभदत्तस्य देवानन्दायाश्च दीक्षा २३४ क्षत्रियकुण्डे समवसरणं पद नन्दिवर्धनकृता स्तुतिः जमालिदीक्षा (मात्रादिवचनप्रतिवचनानि ) महः २४० ४४१ जमालेर्निह्नवत्वं प्रियदर्शनाया बोधः जमालेर्गतिः For Private and Personal Use Only २३३ | भोगपुरे माहेन्द्रोपसर्गः सनत्कुमारेन्द्रनतिः नन्दीप्रामे नन्दिस्तुतिः | चम्पापातः धारणीमरणं चन्दना कुल्माघाभिग्रहः षाण्मासिकः कीलकोपसर्गः मध्यमापापायां कीलक निर्गमः तपःसंकलना केवलज्ञानं च ८ प्रस्तावः समवसरणरचनं धर्मदेशना २५० ३५१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५३ २५९ २६० २६९ २४७ कौशाम्यां सुरप्रियलब्धवरे नृपस्य क्रोवः चण्डप्रद्योतकृता मृगावत्याः प्रार्थना शीलरक्षार्थ छलं मृगावल्या दीक्षा या सा सा सोदाहरणं आनन्दादीनां वाणिप्रामादिषु बोधः कोशाम्ब्यां चन्द्रसूर्यावतरणं कैवल्यं २६५ २७४ विपयानु क्रमः. ।।१३।।

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