Book Title: Mahaguha ki Chetna
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 119
________________ चलो, सोओ जो भी करो होशपूर्वक करो। जो व्यक्ति होशपूर्वक, जागरूकता के साथ कोई कृत्य करता है, उस व्यक्ति को पापकर्म का बंधन नहीं होता। ____ आज के संबोधि-सूत्र हमें जीवन के कुछ व्यावहारिक पक्ष सिखला रहे हैं। इसी के साथ हमारी अन्तवृत्ति के विशोधन के लिए नया मार्ग दे रहे हैं। अतीत का स्मरण छोड़ें और वर्तमान से संतुष्ट होने का प्रयास करें, भविष्य की कल्पनाओं के जाल भी न बुनें। वर्तमान को सुंदर बनाएँ, जीवन को नई दिशाएँ दें, नए आयाम दें। ध्यान की गहराइयों में डूबकर नई ऊर्जा को प्राप्त करें। और इस ऊर्जा का उपयोग जीवन के रूपान्तरण में करें जीवन में शाश्वतता के रंग भरें। 00 110 : : महागुहा की चेतना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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