Book Title: Madanrekha Charitram
Author(s): Shubhshil Gani
Publisher: Hiralal Hansraj
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________________ मदन० चरित्रम् // 22 // // 22 // %EOCEROSSAX नमस्कृत्य स्वर्ग जगाम. क्रमेण स नमिराजर्षिरपि तीनं तपस्तप्त्वा क्षीणसर्वकर्मा केवलज्ञानयुतो मुक्तिं ययौ. अथ सा मदनरेखा साव्यपि संयतिनीपाश्वे स्थिता तीव्र तपस्तपस्यंती सर्वकर्मक्षयात् केवलज्ञानमवाप्य मुक्तिं ययौ. // इति श्रीमदनरेखाचरित्रं समाप्तं // श्रीरस्तु॥ आ ग्रंथनी बोजी आवृत्ति जामनगरनिवासी पंडित श्रावक हीरालाल हंसराजे स्वपरना श्रेयमाटे श्रीशुभशीलगणीजीए रचेला कथाकोषमाथी उद्धरीने तेनी मूलभाषामां बनाता प्रयासे सुधारो वधारो करीने पोताना श्री जैनभास्करोदयप्रेसमां छापी प्रसिद्ध कयों छे. // // समाप्तोऽयं ग्रंथो गुरुश्रीमच्चारित्रविजयसुप्रसादात् // श्रीरस्तु // Steॐॐॐ

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