Book Title: Lonkagachhana Pujyona Tran Bhas
Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 3
________________ अनुसन्धान ४३ ५१ भासकार ऋषि महानन्द पोते भीम ऋषिना शिष्य छे तथा पोते पालनपुर चोमासु रह्या हता त्यारे त्यांना संघना कहेवाथी आ विज्ञप्ति भासनी तेमणे रचना करी होवार्नु कडी १४ मां नोध्यु छे. बीजो भास पण लगभग आवी ज विगतो आपे छे. ते मास दीव बन्दरना संघनी विज्ञप्तिरूप भास छे. अमां विशेषता ऐ छे के दीवना वीशा तथा दशा श्रीमाळी, सोरठीया, पोरवाड, ओसवाळ, मोढ - एम दरेक ज्ञातिना संधोए एकठा मळीने विनंती पाठवी छे, सौने गच्छनायक पधारे तेवी आशा छे. कडी ६ मां श्रीरूपऋषि तथा जीव ऋषि ए बे पूर्व गुरुजनोनो उल्लेख छे. बाकी बधुं लगभग प्रथम भास जेवू ज छे. महानन्द ऋषि लोंकागच्छना एक समर्थ कवि छे. तेमनी अन्य, पंचमी स्वाध्याय-आठम स्वाध्याय-नवपद स्वाध्याय-आत्मप्रबोध स्वाध्याय आदि १०-१२ गुजराती कृतिओ प्राप्त थाय छे. कृतिओ परथी रचनाकाळ १९मी शताब्दीना मध्यकाळमां (१८४० आसपास) होई शके खरो, पण ते माटे बीजी कृतिओ जोवी पडे. प्रत शुद्ध छे. भावनगर-जैन धर्म प्रसारक सभानी हस्तप्रतोनुं सूचिपत्र करतां प्रस्तुत प्रतिवें संशोधन करी प्रगट करी छे. शिवजी मुनि-कृत गांगजी ऋषि भास अथ देशी - रतनगुरुनी गुणवंता गुरु गांगजी रे, तमे तरत कीयो परीयाण, माया मेली छे कारिमी रे, तमे चाल्या चतुर सुजांण गुणवंता गुरु गांगजी रे ...१ गेंवरनी परें गाजता रे, तुझ देश-प्रदेशें नाम. मोटा राजेसर मानता रे, नित समरे तुम नाम, गुण ... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9